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पण्णवणासुत्तं
अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उडुलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१६५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोय- तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अलोए विसेसाहिया ||
१६६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा वाउकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोय - तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१६७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पज्जत्तना उडलोय तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१६८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१७०. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पज्जत्तया उडलोय- तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उलोए असंखज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ||
१७१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तसकाइया तेलोक्के, उडलोय तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुग, उडलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ||
१७२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तसकाइया अपज्जत्तया तेलोक्के, उडलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ||
१७३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तसकाइया पज्जत्तया तेलोक्के, उड्डलोय- तिरियलोए असंखेज्जगुणा', अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डुलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ॥
बंध-पद
१७४. एसि णं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं सुत्ताणं जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सातावेदगाणं असातावेदगाणं इंदियउवउत्ताणं नोइंदियउवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कतरे कतरे हितो
इति पदं शुद्धं न प्रतिभाति ।
१. संखेज्जगुणा ( क ग ); 'इमानि पंचेन्द्रियसूत्रवद् भावनीयानि' इति वृत्त्युल्लेखेन 'संखेज्जगुणा'
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