SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्पादकीय प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं-- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पडिसियाओ ७. पुफियाओ ८. पुष्फचलियाओ ६. वण्हिदसाओ। उपांग बारह हैं । उवंगसुत्ताणि भाग ४ खण्ड १ में तीन उपांग प्रकाशित हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में शेष नौ उपांगों का मूल-पाठ पाठान्तरसहित सम्मिलित है। अंगसुत्ताणि की शब्दसूची एक स्वतन्त्र पुस्तक (आगम शब्दकोश) में मुद्रित है। पाठक और शोधकर्ताओं की सुविधा की दृष्टि से इस खण्ड में उपर्युक्त नौ आगमों की संयुक्त शब्दसूची संलग्न है। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन के साथ बत्तीस आगमों के प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हो जाता है। इस आगम सुत्त ग्रन्थमाला के सात ग्रन्थ सम्पन्न हो रहे हैं:१. अंगसुत्ताणि भाग-१ आयारो, सूयगडो, ठाणं, समवाओ। २. अंगसुत्ताणि भाग-२ भगवई। ३. अंगसुत्ताणि भाग-३ नायाधम्मकहाओ, उवासमदसाओ, अंतगडदसाओ, अणत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुयं । ४. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड १ ओदाइयं, रायपसेणियं, जीवाजीवाभिगमे । ५. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड २ पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरियावलियाओ, कप्पवडिसियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, वहिदसाओ । ६. नवसुत्ताणि भाग-५ आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्झयणाणि, नंदी, अणुओगदाराइं, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहझयणं । ७. आगम शब्दकोश (अंगसुत्ताणि शब्दसूची) इस मूलपाठ की ग्रन्थमाला के अन्तर्गत अन्य ग्रन्धों के सम्पादन का कार्य अभी चल रहा है। उनमें प्रकीर्णक, नियुक्ति और भाष्य सम्भावित हैं। विक्रम संवत् २०१२ (सन् १९५५) महावीर जयन्ती के दिन आचार्य श्री ने आगम-सम्पादन की घोषणा की। सम्पादन का कार्य उसी वर्ष चतुर्मास में प्रारम्भ हुआ । शुद्ध पाठ के बिना सम्पादनकार्य में अवरोध आए । तब पाठ-शोधन की ओर ध्यान गया। पाठ-शोधन का कार्य वि० सं० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003571
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages745
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy