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________________ तेरसमं परिणामपयं परिणामभेय-पदं १. कतिविहे गं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे परिणामे पण्णत्ते, तं जहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य ॥ जीवपरिणाम-पदं २. जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहागतिपरिणामे इंदियपरिणामे कसायपरिणामे लेसापरिणामे जोगपरिणामे उवओगपरिणामे 'णाणपरिणामे दंसणपरिणामे" चरित्तपरिणामे वेदपरिणामे ।। ३. गतिपरिणामे गं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-णिरयगतिपरिणामे तिरियगतिपरिणामे मणुयगतिपरिणामे देवगतिपरिणामे ॥ ४. इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ? पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियपरिणामे चक्खिदियपरिणामे घाणिदियपरिणामे जिभिदियपरिणामे फासिदियपरिणामे || ५. कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-कोहकसायपरिणामे माणकसायपरिणामे मायाकसायपरिणामे लोभकसायपरिणामे ॥ ६. लेस्सापरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तं जहा-कण्हलेस्सापरिणामे णीललेस्सापरिणामे काउलेस्सापरिणामे तेउलेस्सापरिणामे पम्हलेस्सापरिणामे सुक्कलेस्सापरिणामे ॥ ७. जोगपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहामणजोगपरिणामे वइजोगपरिणामे कायजोगपरिणामे ।। ८. उवओगपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहासागारोवओगपरिणामे य अणागारोवओगपरिणामे य॥ ६. णाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहाआभिणिवोहियनाणपरिणामे सुयणाणपरिणामे ओहिणाणपरिणामे मणपज्जवणाणपरिणामे केवलणाणपरिणामे॥ १.दसणपरिणामे गाणपरिणामे (घ)। ३. अणायारो° (क,ख)। २. रसनिदिय° (ग)। १८३ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003571
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages745
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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