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________________ पढमं पण्णवणापर्य सिप्पारिय-पदं ९७. से कि तं सिप्पारिया' ? सिप्पारिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा - तुण्णामा तंतुवाया पट्टगारा' देवडा वरुट्टा छव्विया कट्टपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा * पोत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिब्भगारा' सेल्लरा' कोडिगारा। जे यावणे तप्पगारा | से त्तं सिप्पारिया || मासारिय-पदं ८. से कि तं भासारिया ? भासारिया जे गं अद्धमागहाए भासाए भासिंति, जत्थ वि य णं बंभी लिवी पवत्तइ । बंभीए" णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्खविहाणे पण्णत्ते, तं जहा - बंभी जवणाणिया ' दोसापुरिया' खरोट्ठी" पुक्खरसारिया भोगवईया" पहराईयाओ य अंतक्खरिया अक्खरपुट्टिया वेणइया णिण्हइया अंकलिवी गणितलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेसरी दामिली पोलिंदी से त्तं भासारिया || I णाणारिय-पदं ६६. से किं तं णाणारिया ? णाणारिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा --आभिणिबोहियपाणारिया सुयणाणारिया ओहिणाणारिया मणपज्जवणाणारिया केवलणाणारिया । से तं णाणारिया || दंसणारिय-पदं १००. से किं तं दंसणारिया ? दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सरागदंसणारिया य वीयरागदंसणारिया य || १०१. से किं तं सरागदंसणा रिया ? सरागदंसणारिया दसविहा पण्णत्ता, तं जहाfreeyareरुई आणारुइ, सुत्त - बीयरुइ मेव" । अहिगम - वित्थाररुई किरिया संखेव धम्मरुई ॥ १॥ १. अणुओगदाराई ३६० सूत्रे एतत्संवादी पाठो दृश्यते-से किं तं सिप्पनामे ? सिप्पनामेafter तंतिए तुम्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कटुकारे छत्तकारे वञ्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे । २. वड्ढागारा ( क ) ; पट्टागारा ( ख, ग, घ ) । ३. वरुडा ( क ) ; वरुणा ( ख ) ; वरणा (पु); मलयगिरिणा 'वरुट्टा – पिच्छकारा' इति व्याख्यातम् । ४. पभारा ( क ) ; पब्भारा (घ ) । ५. जिन्भारा ( ख ); जिज्झगारा (पु) । ६. सेलारा ( क ) ; सेल्लगारा (पु) | ३३ Jain Education International ७. समवाओ १८१५ सूत्रे एतत्संवादी पाठो दृश्यते-- बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेखविहाणे पण्णत्ते, तं जहा - बंभी जवणालिया दोसऊरिया खरोट्टिया खरसाहिया पहाराइया उच्चत्तरिया अक्खरपुट्टिया भोगवइया वेणइया निण्हइया अंकलिवी गणियलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेमरी दामिली पोलिदी । ८. जवणालिया (क, ख, घ, पु); मलयगिरिवृत्ती यवनानी । ९. दासा° (क,घ) । १०. खरोट्टी (क, ख, ग, घ ) ११. इया (घ) । १२. चेव (क) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003571
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages745
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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