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पढमं पण्णवणापयं
पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य । से तं सुहमपुढविकाइया ।
१८. से किं तं वादरपुढविकाइया ? वादरपुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहासण्हबादरपुढविकाइया य खरबादरपुढविकाइया य ।।
१६. से कि तं सहबादरपुढविकाइया? सण्हबादरपुढविकाइया सत्तविहा पण्णत्ता, सं जहा-किण्हमत्तिया नीलमत्तिया लोहियमत्तिया हालिद्दमत्तिया सुक्किलमत्तिया' पंडुमत्तिया पणगमत्तिया । से तं सहवादरपुढविकाइया ।
२०. से कि तं खरवादरपुढविकाइया? खरवादरपुढविकाइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
पुढवी य सक्करा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय 'तंव तउय" सीसय, रुप्प सुवणे य वइरे य ॥१॥ हरियाले हिंगुलुए, मणोसिला सासगंजण पवाले । अब्भपडलब्भवालय, बादरकाए मणिविहाणा ॥२॥ गोमेज्जए य रुयए, अंके फलिहे य लोहियक्खे य। मरगय मसारगल्ले, भुयमोयग इंदनीले य ॥३॥ चंदण गेरुय हंसे, पुलए सोगंधिए य वोधव्वे ।
चंदप्पभ वेरुलिए, जलकंते सूरकंते य ॥४॥ जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जतगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेज्जाइं जोणिप्पमुहसतसहस्साई। पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति-- जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखेज्जा। से तं खरबादरपुढविकाइया। से तं वादरपुढविकाइया । से तं पुढविकाइया ।। आउक्काय-पदं
२१. से किं तं आउक्काइया ? आउक्काइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमआउक्काइया य वादरआउक्काइया य ।।
२२. से किं तं सुहुमआउक्काइया? सुहमआउक्काइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहापज्जत्तसुहुमआउक्काइया य अपज्जत्तसुहुमआउक्काइया य । से तं सुहुमआउक्काइया ।।
२३. से किं तं बादरआउक्काइया ? वादरआउक्काइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-ओसा' हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए
१. मट्रिया (घ); सक्किल (ख)
गोमेज्जए य रुयगे अंको फलिहे य लोहियक्खे य । २. उत्तरज्झयणाणि ३६७३-७६ । चतस्रोपि चंदण गेरुय हंसग भयमो मसारगल्ले य॥७॥।
गाथास्तुल्या वर्तन्ते, केवलं 'हंसे' इति पदस्थ चंदप्पह वेरुलिए जलकते चेव सूरकते य। स्थाने 'हंसगठभ' इति पदमस्ति । आचारान- एए खरपुढवीए नाम छत्तीसयं होइ !७६॥ नियुक्ती आद्यं गाथाद्वयं तुल्यमस्ति । अन्त्यं ३. त उय तंब (क, ख, ग, घ)। गाथाद्वयं भिन्नपाठं लभ्यते----
४. उस्सा (क, ग)। ५. हरतणु (क, ख); हरतणूए (घ) ।
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