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सत्तरसमं लेस्सापयं
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जीए इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कज्जले इ वा गवले इ वा 'गवलवलए इ वा " जंबूफले इ वा अद्दारिट्ठए' इ वा परपुट्ठे इ वा भमरे इ वा भमरावली इ वा गयकलभे इ वाहिकेसरे' इ वा आगासथिग्गले इ वा किण्हासोए इ वा किण्हकणवीरए इ वा किण्हबंधुजीवए इ वा भवेताख्वा ? गोयमा ! गो इणट्ठे समट्ठे, किण्हलेस्सा णं एत्तो अणिट्टतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमगुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता !
१२४. गीललेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए-भिंगे इ वा भिगपत्ते इ वा चासे इ वा चासपिच्छे इ वा सुए इ वा सुयपिच्छे इ वा सामा इवा वणराई इ वा उच्चतए' इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलधरवसणे इ वा अयसिकुसुमे इ वा वाणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा णीलुप्पले इ वा नीलासोए इ वा नीलकणवीरए इ वा गीलबंधुजीवए इ वा भवेताख्वा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, णीललेसा णं एत्तो अणितरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अणुण्णतरिया चेव' अमणामतरिया चेव वण्णं पण्णत्ता ।
१२५. काउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया' वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए-खइरसारै" इ वा कइरसारे" इ वा धमाससारे" इ वा तंबे " इ वा तंबकरोडए इ वा बछवाडिया" इ वा वाइंगणिकुसुम " इ वा कोइलच्छद" - कुसुमए इ वा 'जवासाकुसुमे इ वा कलकुसुमे इवा"" भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, काउलेस्सा णं एत्तो अणित रिया" "चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चैव वण्णेणं पण्णत्ता ॥
१. चिन्हाङ्कितः पाठो मलयगिरिवृत्तौ नास्ति
व्याख्यातः ।
२. अद्दारिद्रुभे ( क ) ; अद्दारिपुणे ( ग ); अरिष्टकं अस्यां मलयगिरिवृत्तौ 'अद्द'
व्याख्यातम् ।
३. किण्ह केसे (ख) पु) 1
४. भवेतारुवे (क,ख,ग,घ ) ।
अद्दाअरेट्ठए (ख,घ ) ;
फलविशेषः पदं नास्ति
५. मुद्रितायां मलयगिरिवृत्ती उच्चन्तको दन्तरागः आह च मूलटीकाकारः (उच्चतगो' दंतरागो भवइ' इति पाठो दृश्यते । हस्तलिखिते मलयगिरिवृत्त्यादर्श' उद्दन्तको' दतरागः आह च मूलटीकाकारः उद्दतको दंतरागो भन्नइ । 'उव्वत्तए' ( प्रदेशव्याख्या) ।
६. हलहर (क, ग, घ ) 1 ७. वणकुसुमे ( ग ) ।
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८. मं० पा० - समट्ठे एतो जाव अमणामरिया |
६. केसरिया ( ख, ग, घ ) 1
१०. खयर० (ख, घ ) ।
११. करसारए ( ख, ग ); कतरसारए (घ) 1
१२. धमाससारते (घ) 1
१३. तंवे (घ) ।
१४. तंबाछिवाए ( ग ) ।
१५. वाइंगिणि (ख, घ ) ।
१६. कोइच्छा (क, ख, ध ) ।
१७ एते पदे वृत्तौ व्याख्याते न स्तः 'क, ख, घ' संकेतितादर्शषु कलकुसुमे इवा' इति पाठो नैव दृश्यते ।
१८. सं० पा० अणिट्ठतरिया जाव तरिया ।
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अमणाम
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