________________
इतिवृत्तक को सूक्तिया
उनागी १८ जो पाप कर्म न करने वाले निर्दोष व्यक्ति पर दोष लगाता है तो वह
पाप पलटकर उसी दुष्ट चित्त वाले घृणित व्यक्ति को ही पकड लेता है ।
१६. विष के एक घडे से समुद्र को दूपित नही किया जा सकता, क्योकि समुद्र
अतीव महान् है, विशाल है । वैसे ही महापुरुप को किसी की निन्दा
दूपित नही कर सकती। २०. भिक्षुओ । तीन अग्नियां हैं।
कौन मी तीन अग्नियो? राग की अग्नि, द्वीप की अग्नि और मोह की अग्नि ।
२१. गृहस्थ और प्रव्रजित (माधु)-दोनो ही एक दूसरे के सहयोग से कल्याण
कारी सर्वोत्तम सद्घमं का पालन करते हैं।
२२ जो धूर्त हैं, क्रोधी है, वातूनी हैं, चालाक है, धमडी है, और एकाग्रता से
रहित हैं, वे सम्यक् सम्बुद्ध द्वारा उपदिष्ट धर्म मे उन्नति नही कर सकते
२३ साधक यतना से चले, यतना से खडा हो, यतना से बैठे और यतना से
ही सोये ।