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यजुर्वेद को सूक्तिया
इक्यानवे ८७. मनुष्य कल्याणकारी सुभापित वचनो के लिए ही प्रेषित एव प्रेरित है,
अत तुम कथनयोग्य सूक्तो (सुभाषित वचनो) का ही कथन करो।
८८. हम विचार एव विवेक के साथ ऐश्वयं चाहते हैं ।
८६. कौन अकेला विचरण करता है ? कौन क्षीण होकर पुन प्रकाशमान हो
जाता है ? हिम (शीत) की औपधि क्या है । ? वोज बोने का महान् क्षेत्र क्या है ? सूर्य अकेला विचरण करता हैं, चन्द्रमा क्षीण होकर भी पुनः प्रकाशमान हो जाता है । हिम की औषधि अग्नि है, बीज बोने का महान् क्षेत्र यह पृथिवी है, अर्थात् सत्कर्म के बीज बोने का खेत यह वर्तमान लोकजीवन
९० जनता द्वारा सर्वप्रथम चिंतन का विपय कौन है ? सब से बड़ा पक्षी
कौन है ? चिकनी वस्तु कौन सी है ? रूप को निगलने वाला कौन है ? जनता द्वारा सबसे पहले चिंतन का विषय वृष्टि है। अश्व ही गमन करने वाला सब से बडा पक्षी है । रक्षिका पृथिवी ही वृष्टि द्वारा चिकनी (पिलिप्पिला) होती है, रात्रि ही सब रूपो (दृश्यो) को निगलने
वाली है। ६१. सूर्य के समान ज्योति कोन सी है ? समुद्र के समान सरोवर क्या है, ?
पृथिवी से महान् क्या है ? किस का परिमाण (सीमा) नही है । सूर्य के समान ज्योति ब्रह्म है । समुद्र के समान सरोवर अन्तरिक्ष है। इन्द्र (चैतन्य तत्व) पृथिवी (भौतिक तत्व) से अधिक महान् है, वाणी का परिमाण नही है।x .
६. पिशमिति रूपनाम, रात्रिहिं सर्वाणि रूपाणि गिलति अदृश्यानि करोतिउन्वट । १०. द्यो अन्तरिक्ष यतो वृष्टिभवति-महीधर ।
x महीधर 'गो' से 'गाय' अथं लेते हैं-"गो घेनो मात्रा न विद्यते ।" उन्वट पृथिवी अर्थ भी लेते हैं--पृथिवी वा गौः।