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सामवेद की सूक्तियां*
१ हमे ब्रह्मत्वभाव प्राप्त हो, हमे प्रिय एवं सत्यवाणी प्राप्त हो ।
२ कर्म से ही इन्द्र का गौरव बढा है ।
३ सदाचारी विद्वानो से होष करने वालो को त्याग दो।
४ जो साधक अहकारपूर्वक अभिषव (अनुष्ठान) करता है, उसे त्याग दो ।
५ हे भगवन् । जैसा तू है, ऐसा अन्य कोई नहीं है।
* सामवेद सहिता, भट्टारक श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा संपादित
औंध से (वि० सं० १९६६) प्रकाशित । -सामवेद संहिता, सायणाचार्यकृतभाष्य, रामचंद्र शर्मा द्वारा
(ई० सं० १९२५) सनातनधर्म प्रेस मुरादाबाद से प्रकाशित । नोट--सामवेद के अन्तर्गत समस्त टिप्पण सायणाचार्य कृत भाष्य के हैं।