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ब्राह्मण साहित्य की सूक्तियां
१. वह पुरुष अपवित्र है-जो झूठ बोलता है, झूठ बोलने से मन भीतर में
गन्दा रहता है। २. देव (महान् आत्माएं) मूर्तिमान सत्य हैं ।
३. युस कर होता है । युद्ध मे क र काम किए जाते है ।
४. जो माता है, वह सब जाता भी है ।
५. बड़ी मछली छोटी मछली को निगलती है ।
६. ब्राह्मण वसन्त है, क्षत्रिय ग्रीष्म है और वैश्य वर्षा (ऋतु) है।
* श्री शुक्ल यजुर्वेदीय शतपथ ब्राह्मण, अल्वर्ट वेबर द्वारा सपादित और बलिन
मे (ई० स० १८४६) मुद्रित ।