________________
जातक की सूक्तिया
एक सोनो
७. कुलपुत्र ( खानदानी व्यक्ति) हो कुलपुत्र की प्रशंसा करना जानता है ।
८. जिसका गाँव मे कोई मित्र नही है, उसके लिए जैसा जगल, वैसा गाँव !
६. अत्यंत तीक्ष्ण शस्त्र और हलाहल विष भी उतनी हानि नही करता, जितना कि अविवेक से बोला हुआ दुर्वचन करता है ।
१०. सुख समृद्धि चाहने वाले गृहस्थ का आलसी होना अच्छा नही, प्रव्रजित का संयमी रहना अच्छा नही, राजा का अनिशम्यकारी (विना सुने समझे निर्णय करने वाला) होना अच्छा नही, ओर पडित का क्रोधी होना अच्छा नही ।
११. राजन् । सोच समझकर कार्य करने वालो का ही यश तथा कीर्ति बढती है |
१२. जिनका अपना ज्ञान नही है, और जो सदाचारी भी नही हैं, ऐसे लोग भूतल पर वन मे अंधे भेसे की तरह फिरते हैं ।
१३. मूर्ख का बल, उसी के वध के लिए हो जाता है ।
१४. शीलरहित व्यक्ति का मात्र श्रुत (ज्ञान) से कोई अर्थ सिद्ध नही हो पाता ।
१५. जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट, सभी प्रकार का श्रुत (ज्ञान) सीखना चाहिए ।
१६ धर्म कीचड से रहित निर्मल सरोवर है, पाप मन का स्वेद- मल ( पसीना ) है । शील वह अद्भुत गध-विलेपन है, जिसकी गन्ध कभी क्षीण नही होती ।
१७. विवाद से सभी जन क्षीण हो जाते हैं ।