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सम्यग्ज्ञानका पीठिका
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ते जैसे जिनके जेते पाइए, अर बीच में स्वामीरहित स्थान पाइए तिनका अर तहां विशुद्धता का वर्णन है ।
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बहुरि सकलचारित्र तीन प्रकार - क्षायोपशमिक, औपशमिक, क्षायिकः तहां araivator चारित्र का वर्णन है । तिसविषे यहु जाऊँ होइ ताका, वा सन्मुख होतें जो क्रिया होइ, ताका वर्णन करि वेदक सम्यक्स्व सहित चारित्र ग्रहण करनेवाले कैं दोय ही करण होइ इत्यादि अल्पबहुत्व पर्यंत सर्वं कथन देशसंयतवत् है, ताका वर्णन है । बहुरि सकलसंयम स्पर्द्धक वा अविभागप्रतिच्छेदन का कथन करि प्रतिपात, प्रतिपद्यमान, अनुभयरूप स्थान कहि ते जैसे जेते जिस जीव के पाइए, तिनका क्रम तें वर्णन है । तहां विशुद्धता का वा म्लेच्छ के सकलसंयम संभवने का वा सामयिकादि संबंधी स्थानति का इत्यादि विशेष वर्णन है । बहुरि श्रपशमिक चारित्र का वर्णन है । तहां वेदक सम्यक्त्व जिस-जिस विधानपूर्वक क्षायिक सम्यक्त्वी वा द्वितीयोपशम सम्यक्त्वी होइ उपशम श्रेणी चढे है, ताका वर्णन | तहां द्वितीयोपशम Rare होने का विधान विषै तीन करण, गुणश्रेणी, स्थितिकांडकादिक वा अंतरकरणादि का विशेष वर्णन है ।
बहुरि उपशम श्रेणी विषै आठ अधिकार हैं, तिनका वर्णन है । तहां प्रथम अधः करण का वर्णन है । बहुरि दूसरा प्रपूर्वकरण का वर्णन है । इहां संभवते श्रावश्यकनि का वर्णन है । इहां लगाय उपशम श्रेणी का चढ़ना वा उतरणा विषै स्थितिबंधासरण अर स्थितिकांडक वा अनुभाग कांडक के प्रायामादिक के प्रमाण का अर इनकों होतें जैसा जैसा स्थितिबंध श्रर स्थितिसत्त्व वा अनुभागसत्व अवशेष रहे, ताका यथा ठिकाण बीच-बीच वर्णन है, सो कथन आगे होइगा तहां जानना | बहुरि पूर्वकरण का वर्णन विषै प्रसंग पाइ, अनुभाग के स्वरूप का वा वर्ग, वर्गणा, स्पर्द्धक, गुणहानि, नानागुणहानि का वर्णन है । पर इहां गुणश्रेणी, गुणसंक्रम हो है, पर प्रकृतिबंध का व्युच्छेद हो है, ताका वर्णन है । बहुरि अनिवृत्तिकरण का कथन विषे देशे करणनि विषै तोन करणनि का अभाव हो हैं । ताका अनुक्रम लीएं कर्मनि का स्थितिबंध करनेरूप क्रमकरण हो है ताका; तहां प्रसंख्यात समयप्रबंद्धति की उदीरणादिक का, र कर्मप्रकृतिनि के स्पर्द्धक देशघाती करनेरूप देशघातीकरण का पर कर्मप्रकृतिनि के केass निषेकनि का प्रभाव करि श्रन्य निषेकनि विषै निपेक्षण करने रूप अंतरकरण का, अर अंतरकरण की समाप्तता भए युगपत् सात करननि का प्रारंभ हो हैं ताका, तहां ही आनुपूर्वी संक्रमण का - इत्यादि वर्णन करि नपुंसकवेद