________________
BREEFFE
| तब चक्रवर्ती वज्रदन्त ने कहा - "बेटी ! तुम दोनों इसी क्षेत्र में उत्पन्न हुए हो । पण्डिता धाय आज || ही उसके समाचार लायेगी और आज से तीसरे दिन उस राजकुमार से तुम्हारा मिलन हो जायेगा। वह
ललितांग देव वज्रजंघ नामक राजकुमार के रूप में तेरी बुआ का ही पुत्र हुआ है और वही तेरा भर्तार होगा। हे पुत्री! बुआ यहीं आ रही है। हम उन्हें लेने ही जा रहे हैं।" ऐसा कहकर राजा गये ही थे कि सखी पण्डिता | धाय आ गई। | पण्डिता धाय की प्रसन्नमुद्रा उसके द्वारा किए कार्य की सफलता की सूचक थी। उसने कहा - "मेरे द्वारा जिनमंदिर की चित्रशाला में फैलाये तुम्हारे पूर्वभव के चित्र को अनेक राजकुमारों ने देखा, पर सभी उसके रहस्य को जानने में असफल रहे । अन्ततोगत्वा राजकुमार वज्रजंघ आया और उसने कहा - 'मुझे यह चित्र चिर-परिचित-सा लगता है।" और उसने चित्र में चित्रित एक-एक दृश्य के विस्तार से ऐसे गुप्त रहस्य बताये, जिन्हें तुम्हारे पूर्व पति के सिवाय कोई नहीं बता सकता था। मेरे सभी प्रश्नों के उत्तर भी सटीक सही-सही दिए। वह निश्चित ही तुम्हारा पूर्व प्रेमी और वर्तमान चहेता ललितांगदेव का ही जीव है; अत: तुम उदासी छोड़ो और आनन्दित हो जाओ।
वज्रजंघ ने भी पण्डिता धाय को वैसा ही चित्रपट दिया, जिसमें पूर्वपर्याय की सुखद अवस्थाओं के नाना तरह के चित्र चित्रित किए थे। श्रीमती ने भी उस चित्रपट को बड़ी देर तक ध्यान से देखा। उसे देखकर उसे अपने मनोरथपूर्ण होने का विश्वास हो गया; अत: उसने सुख की सांस ली।
जिसप्रकार भव्यजीव अध्यात्म शास्त्रों को देखकर और देवगण नन्दीश्वर द्वीप में विराजित प्रतिमाओं के दर्शन कर हर्षित होते हैं; उसीप्रकार श्रीमती भी उस चित्रपट को पाकर प्रसन्न हुई। पण्डिता धाय ने श्रीमती से कहा- “वह वज्रजंघ तेरे पिता वज्रदन्त चक्रवर्ती का भानजा और तेरे फूफा का पुत्र है। अत: वे भी उसकी योग्यता और महानता से सुपरिचित हैं और तेरे योग्य उसे श्रेष्ठ मानते हैं। अत: तेरा मनोरथ निश्चित ही पूरा होगा। ___ वज्रदन्त ने अपने बहनोई वज्रवाहु एवं भानजे वज्रजंघ को सपरिवार आमंत्रित किया और उनका खूब ॥ ३
E EFFoto
F50
PE