Book Title: Salaka Purush Part 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 238
________________ २३९ में मतिवर मंत्री, तीसरे पूर्वभव में अहमिन्द्र, दूसरे पूर्वभव में सुबाहू, पहले पूर्वभव में अहमिन्द्र और वहाँ से || आकर यहाँ भरत हुए। ४. इस भव के बाहुबली का जीव सातवें पूर्वभव में राजा प्रीतिवर्धन का अपराजित सेनापति हुआ, छठवें पूर्वभव में भोगभूमि में आर्य हुआ, पाँचवें पूर्वभव में प्रभंकर देव, चौथे पूर्वभव में राजा वज्रजंघ का सेनापति अकंपन हुआ, तीसरे पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ, दूसरे पूर्वभव में महाबाहु हुआ, पहले पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ और वहाँ से आकर बाहुबली हुआ। ५. मैं अर्थात् वृषभसेन का जीव सात भव पूर्व में प्रीतिवर्धन राजा का मंत्री था, छठवें पूर्वभव में भोगभूमि में आर्य हुआ, पाँचवें पूर्वभव में कनकप्रभ देव हुआ, चौथे पूर्वभव में राजा वज्रजंघ का पुरोहित आनन्द हुआ, तीसरे पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ, दूसरे पूर्वभव में पीठ हुआ, पहले पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ और वहाँ से आकर यहाँ तुम्हारा भाई होकर गणधर हुआ। ६. इस भव के तुम्हारे भाई अनन्तविजय का जीव भी सात भव पूर्व में प्रीतिवर्धन राजा का पुरोहित था, छठवें पूर्वभव में भोगभूमि में आर्य था, पाँचवें पूर्वभव में प्रभंजन देव हुआ, चौथे पूर्वभव में नगरसेठ धनमित्र हुआ, तीसरे पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ, दूसरे पूर्वभव में महापीठ हुआ, पहले पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ और वहाँ से आकर तुम्हारा भाई अनन्तविजय गणधर हुआ। ७. इस भव के तुम्हारे छोटे भाई महासेन का जीव भी आठवें पूर्वभव में उग्रसेन नाम का क्रोधी वैश्य था, सातवें पूर्वभव में सिंह हुआ, छठवें पूर्वभव में भोगभूमि में आर्य हुआ, पाँचवें पूर्वभव में चित्रांगद देव हुआ, चौथे पूर्वभव में राजा वरदत्त हुआ, तीसरे पूर्वभव में अच्युतेन्द्र हुआ, दूसरे पूर्वभव में विजय हुआ, पहले पूर्वभव में अहमिन्द्र हुआ और वहाँ से आकर यहाँ महासेन हुआ। ८. तुम्हारे छोटे भाई श्रीषेण का जीव भी आठवें पूर्वभव में हरिवाहन नाम का मानी राजा था, सातवें पूर्वभव में शूकर हुआ, छठवें पूर्वभव में भोगभूमि में आर्य हुआ, पाँचवें पूर्वभव में मणिकुण्डल नामक देव ॥ २०

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