Book Title: Salaka Purush Part 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 259
________________ २६०॥ एक लाख वर्ष बाद आनेवाली सिद्धपर्याय को यदि वह लाना चाहेगा तो सिद्धपर्याय आने के बाद | संसारपर्यायों का क्या होगा? सिद्धपर्याय लाने के लिए उन्हें खत्म करना पड़ेगा। यदि उन्हें खत्म किया तो उतना द्रव्य खण्डित हो जाएगा। जैसे नौ मीटर की धोती में से बीच में से यदि एक मीटर निकाल दिया | जाता है तो वह आठ मीटर रह जाएगी और बीच में एक जोड़ लग जावेगा; उसीप्रकार यदि आत्मा में से | उतने समय की संसार पर्यायें निकाली गईं तो आत्मा काल से खण्डित हो जाएगा, उतना छोटा हो जायेगा, अनादि-अनंत नहीं रहेगा और उसमें एक जोड़ लग जायेगा। ___जिसप्रकार वस्तु में क्षेत्र की अखण्डता होती है, काल की अखण्डता होती है; उसीप्रकार वस्तु में गुणों की अखण्डता भी होती है। यदि एक गुण का रूप दूसरे में न हो तो गुण बिखरकर अलग-अलग हो जायेंगे। यदि ज्ञानगुण में अस्तित्व गुण का रूप नहीं हो तो ज्ञानगुण का अस्तित्व ही नहीं रहेगा, फिर ज्ञान गधे के सींग के समान हो जायेगा। अस्तित्व गुण में यदि प्रमेयत्वगुण का रूप नहीं हो तो अस्तित्वगुण जाना ही नहीं जा सकेगा। यदि ज्ञानगुण अनंतगुणों में व्याप्त नहीं होगा तो फिर पूरा आत्मा ज्ञानी कैसे होगा? तब ज्ञानगुण ही चेतन होगा, आत्मा के शेष गुण अचेतन रहेंगे; क्योंकि ज्ञानदर्शन को ही चेतना कहा जाता है; इसलिए गुणभेद इष्ट नहीं हैं। ___यदि गुणभेद को सर्वथा स्वीकार करते हैं तो बाकी के समस्त गुण अचेतन हो जाते हैं; क्योंकि वह चेतनता उसमें से अलग हो गई। चीनी में से यदि मिठास निकल जाए तो चीनी न तो खारी होगी, न मीठी होगी। यदि उस चीनी में रस नहीं रहेगा तो वह कुछ भी नहीं होगी। वैसे ही यदि आत्मा में से चेतनगुण निकल गया तो बाकी के गुण भी अचेतन हो जायेंगे। इसप्रकार वस्तु में क्षेत्र की अखण्डता एवं काल की अखण्डता के साथ-साथ गुणों की अखण्डता भी होती है। ___ शंका - जब क्षेत्र को बदलने के बारे में किसी को कोई विकल्प नहीं होता है तो फिर पर्याय को बदलने || | के बारे में विकल्प क्यों उत्पन्न होता है ? FFep REFE Eate AE

Loading...

Page Navigation
1 ... 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278