________________ वह चोर पूछता है तब वह 'आज ही विक्रम मिलेगा' एसा बतलाता है। त्वरित गति से मंदिर में जाकर खप्पर उस को मीलता है और राजा भी उसको देखकर चोर ही है एसा निर्णय कर लेता है और उस के आगे कपट वार्ता करता है। दोनो का बहुत जबरजस्त घर्षण होता है आखिर लढाई होती है और खप्पर अपनी ही गुफा में मारा जाता है। राजा की विजय होती है और प्रजा की जो जो चीजें चोर चोरी कर गया था वह सब को दे दी जाती है और कलावती का भी पत्ता चल जाता है। इस प्रकरण में रोमाञ्चक व साहसिक घटनाए आप पहेंगे और यह तीसरा सर्ग * भी खतम हुआ। समाप्तः तृतीयः सर्गः सर्ग चतुर्थ पृष्ठ 158 से 246 तक प्र.१६ से 20 तक प्रकरण सोलहवा . . . . पृष्ठ 168 से 170 तक .. देवकुमार * . इधर राजा विक्रमादित्य के चले जाने से राजा शालीवाहन की लडकी सुकोमला विलाप करती है, उसको माता-पिता आश्वासन देते है और गर्भपालन करती हुई क्रमशः पुत्रका प्रसव करती है, जिसका नाम देवकुमार रक्खा जाता है। बाल्यकालीन लालन-पालन करने के बाद 1-2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org