________________ छोड़कर राजी अग्निवैताल से एकान्त में परामर्श करके अवन्ती जाने के लिये तैयार हो मया और रहने के महल के दरवाजे पर श्लोक लिख कर अग्निवैताल के साथ अवन्ती प्रति प्रस्थान किया। राजा विक्रमादित्य के अवन्ती आने पर भट्टमात्र राज्यका हाल सुनाते हुए चोर का वर्णन करने लगे जिस में चार कन्याओ का चुराना, विक्रमादित्यने उसको पकड़ने के लिये युक्ति बताई, कौए की स्त्रीने सुवर्ण हार की युक्ति से सर्प को मारना और अपने बच्चों की रक्षा करना, रात्रि में स्वप्न आना; सर्प के मुख से कन्या को छुड़ाना और सर्पका रूप परिवर्तन करके विद्याधर के रूपमें प्रगट होना और कलावती का वर्णन करना व उसके साथ विक्रमादित्य का लग्न होना यह सभी बातें पढकर आप इस प्रकरण को यहाँ ही खतम होते हुए पाते हैं। प्रकरण चौदहवा . . . . . पृष्ठ 128 से 141 तक. . खप्पर चौर __आप इस प्रकरण में खुद राजा के वहाँ ही चोरी का हाल पढेगें। खप्पर नामक चोर रात्रि में राजमहल से रानी कलावती का हरण करता हैं जिसकी खोज के लिये सिपाई आदि. मेजे लेकिन पता नहीं चला, जब राजा खुद ही नगरमें भ्रमण करने लगे और किसी मंदिर में जाकर चक्रेश्वरी की प्रार्थना करने लगे। जिस से देवी प्रगट हुई और वरदान मांगने को कहा राजाने चोरका स्वरूप जाननेका वरदान मांगा, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org