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धन्य-चरित्र/24 शास्त्र में नवीन मति को धारण करता था। ज्योतिष शास्त्रों में द्योतित बुद्धि द्वारा ग्रहों की गति आदि को विशद रीति से प्रकाशित करता था। प्रश्नोत्तर रूप विवादों में कुशाग्र बुद्धि द्वारा शीघ्र ही उत्तर देता था। पहेलियाँ, अन्तर्लापिका, बहिर्लापिका व अलंकार शास्त्रों में उसकी मति खेल खेलने जैसी थी। समस्याओं को सुनने मात्र से वह उत्तर देकर समाधान कर देता था। अनेक प्रकार की लिपियों को पढ़ने में वह स्खलित नहीं होता था। लीलावती आदि संख्या-वेदियों में वह अद्वितीय था। निघण्टु आदि वैद्यकी के आदान-निदान आदि क्रियाओं में उसकी निर्दोष मति ख्यात थी। सभी औषधियों के योग-प्रयोग में वह अभ्यस्त मतिवाला था। वाचालता से क्रीड़ा करनेवालों के मध्य अनल्प बुद्धि से अबाध्य उत्तर देता था। गूढ़ श्लोकों के अर्थ को अगूढ़ की तरह प्रकट करता था। अन्तर्धान आदि विद्याओं में एकाग्रतापूर्वक परम्परा से आया हुआ गुरु-प्रदत्त अभ्यास उसने आत्मसात् कर लिया था। औषधि, रस, रसायन, मणि-परीक्षा में निमित्त शास्त्रों में, बिना उपदेश के पढ़े हुए शास्त्र की तरह अस्खलित बोलता था। कठिन इन्द्र-जाल-विद्या के रहस्य को सहजता से प्रकट कर देता था। वसन्तराज आदि शकुन शास्त्रों में दृष्टि पथ पर अवतीर्ण-मात्र में ही भूत-भविष्य में होनेवाले पदार्थों का अभिज्ञान-सहित पहले ही कथन कर देता था। संगीत, छंदशास्त्र आदि के अर्थ के निर्णय में वर्ण, मान, ताल,-मात्रा सहित अनुभव-प्रस्तार आदि को विशद रीति से बता देता था। समस्त राग रूपी समुद्र का वह पारीण था।
अत्यधिक सुस्वर नामकर्म के उदय से सम्पूर्ण जनों के मन को वश में करनेवाले लय, मूर्च्छना, रस आदि से युक्त गीत इस प्रकार गाता था कि जिससे वन में रहे हुए हाथी, हिरण आदि भी निःशंक रूप से बहुत जनों से संकुलित नगर में आ जाते थे।
हाथी व घोड़ों की परीक्षा में तथा उनकी दमन शिक्षाओं में भी अत्यन्त कुशल था। मल्ल युद्ध की क्रियाओं में भी मर्मज्ञ रूप से कल-बल द्वारा प्रतिद्वंद्वी मल्ल को पराजित करने में कुशल था। धनुष आदि शस्त्रक्रियाओं में भी परिकर्मित मति द्वारा बुद्धि की प्रगल्भता से तिरस्करपूर्वक प्रतिद्वंद्धी सैनिक को जीत लेता था।
__चक्रव्यूह, गरुडव्यूह, सागरव्यूह आदि में सैन्य टुकड़ियों को निवेशित करने में अति माहिर था, जिससे शत्रु पराभव करने में समर्थ नहीं होता था।
___ व्यापार में गान्धिक व्यापारियों के विविध माल के क्रय-विक्रय की कला में दक्ष था। सौगन्धिक वस्तुओं में अत्यधिक चतुराई से गंध-संस्कार में परस्पर संयोग आदि को जानता था। दूष्य के व्यापार में अत्यन्त अदूषित मति थी।