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धन्य-चरित्र/262 दूसरे दिन श्रेष्ठी ने घर के अन्दर चारों और छिपे हुए सैनिक रखे। स्वयं तो महा-आवासवाले चतुष्पथ में चला गया। द्वार पर रहकर विदाई के निमित्त महा-इभ्यों के द्वारा दिये जाते हुए श्रीफल, रूपये आदि को ग्रहण करने लगा। याचकों को यथायोग्य दान देने लगा। इस प्रकार दिन के एक प्रहर के बीत जाने के बाद उन दोनों ने प्रिय सखी को सङ्केतित प्रदेश में राजा के आमंत्रण के लिए भेजा। राजा भी पहले से ही दूती द्वारा कहे हुए सामान्य वणिक के वेश को धारण करके उन दोनों के संयोग के मनोरथों को करता हुआ अकेला ही संकेतित स्थल पर उपस्थित था। उस सखी ने वहाँ जाकर दूर से ही भ्रू-संज्ञा के द्वारा बुलाया। राजा उसे देखते ही निर्जन-पथ पर निकल गया। वह आगे-आगे चलने लगी। सिंहावलोकन दृष्टि द्वारा देखते हुए जब घर का गुप्त दरवाजा आया, तो उसने ताली बजाकर संकेत दिया। पूर्व संकेतित उन दोनों ने भी द्वार खोल दिया। हर्ष व विनय के साथ राजा को अन्दर ले जाया गया। फिर उन दोनों ने कहा-"आइए स्वामी! आइए! प्राणनाथ! आज सभी मनोरथ साकार हुए। आज गंगा स्वयं हमारे घर पर आयी है। आज मोतियों की वर्षा हुई है, जो कि आपका समागन हुआ।"
इस प्रकार शिष्ट-वचनों के द्वारा तृप्त करके फिर हाथ पकड़कर बहुमानपूर्वक चित्रशाला में ले जाकर सामान्य पलंग पर बैठाया । उसके बाद अति उत्सुकता व चपलतापूर्वक घर के अन्दर जाकर उन दोनों ने गृहशाला के अन्दर जाकर संकेत से श्रेष्ठी को बताया कि कार्य हो गया है। यह बताकर पुनः चित्रशाला में जाकर खान-पान-ताम्बूलपत्र आदि उसके सामने रखा। फिर कुछ क्षणों तक बातें कीं। फिर घर के अन्दर जाकर कोई अद्भुत वस्तु लाकर उसके सामने रखकर हास्यादि वार्ता करने लगी। राजा तो उन दोनों का अति-आदर-भाव देखकर रागान्ध हो गया। दूसरा कुछ भी विचार नहीं किया।
इस प्रकार शिष्टाचार और हर्ष युक्त बातें करते हुए एक घटिका बीत जाने पर पूर्व में संकेतित पुरुष चारों और उपस्थित हो गये और कहने लगे-"हे गृह-स्वामिनियों! घर के अन्दर कौन है? किसके साथ आप हँस-हँस कर बातें कर रही हैं? श्रेष्ठी के जाते ही यह क्या कर रही हैं?"
इस प्रकार बोलते हुए चारों और से दौड़े। राजा को वहाँ देखकर उसे चारों ओर से घेरकर कहा-"हे दुष्ट! तुम कौन हो, जो मरने के लिए तैयार होकर हँसते हुए हमारे स्वामी के घर में आये हो? अब तुम्हारी क्या दशा होती है, वह देखो। बाँधो-बाँधो, इसे बाँधो ।'
उनके ऐसे वचनों को सुनकर राजा दिशामूढ़ हो गया। कुछ भी उत्तर