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धन्य - चरित्र / 317
से अत्यधिक दूर रहे हुए गाँव में कैसे जायेंगे? वहाँ भी प्रत्येक घर में घूमते हुए भी अगर निर्दोष भिक्षा मिलेगी, तो ही इनके द्वारा ग्राह्य है, अन्यथा नहीं । अतः हमारे पास जो भाता है, उसी में से इन्हें आहार बहराया जाये, तो श्रेष्ठतम होगा ।" इस प्रकार तीनों में विचार कर अपना-अपना शम्बल (भाता) मुनि को दे दिया। मुनि भी शुद्ध आहार जानकर, उसे ग्रहण करके तथा धर्मलाभ की आशीष देकर अपने स्थान पर चले गये ।
उन तीनों मित्रों को सायंकाल में लकड़ियाँ इकट्ठी करने के प्रयास के क्लेश द्वारा सुबह में खाया हुआ सारा भोजन पच गया। अब प्रबल भूख से जनित वेदना सताने लगी। तब वे परस्पर एक दूसरे को पूछने लगे - "कुछ खाने के लिए है या नहीं?"
तब एक ने कहा- "सारा भोजन तो मुनि को दे दिया । "
तब भूखे पेटवाले वे सभी लकड़ियों को ग्रहण करके सायंकाल में अपने-अपने घर आ गये। वहाँ भी जब तक भोजन न बनाया जाये, तब तक क्या खायें? अतः तीनों ही पश्चात्ताप करने लगे - " अहो ! मुनि को दान देने का फल तो हमें यहीं मिल गया। इसी के प्रभाव से आज हम सब भूख से मर रहे हैं। नहीं जानते कि भविष्य में क्या होगा? हा! हा! हम तो व्यर्थ ही इस साधु के द्वारा ठगे गये। उस समय तो तीनों में से किसी के मन में भी यह विचार नहीं आया कि भूख लगने पर हम क्या खायेंगे? इन मुनियों को तो रोज ही तप करने की आदत है । नित्य अभ्यास होने के कारण अगर एकाध दिन ज्यादा भी हो जाता, तो कुछ भी हानि नहीं थी । हमें तो भूखे रहने का जरा भी अभ्यास नहीं है, अतः बड़ा दुःख आ पड़ा है। हाथों से पेट मसलकर हमने दुःख उत्पन्न किया है। हमारे जैसा कौन मूर्ख होगा, जो घर को जलाकर तीर्थयात्रा करे?"
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इस प्रकार मुनिभगवंत को आहार देकर भी आत्म-शक्ति से रहित उन तीनों ने पश्चात्ताप के कारण होनेवाले अनंत फल को अति तुच्छ बना दिया । धनसार ! वे तीनों ही आयु समाप्त होने पर मरकर तुम्हारे घर में धन-रहित पुत्रों के रूप में उत्पन्न हुए । दान देकर भी पश्चात्ताप आदि दोष से दूषित होने के कारण यहाँ भी बार-बार लक्ष्मी प्राप्त होने पर भी निर्धन हुए । पर सर्व अर्थ की सिद्धि करनेवाले दूषित भी दान का मूल से तो नाश नहीं ही होता । अतः धन्य के संयोग से ही इनकी लक्ष्मी स्थित होती है। पहले जिन पड़ौसी स्त्रियों ने अखण्ड, निष्कम्प अनुकम्पा के अध्यवसाय से शिशु के दुःख को दूर करने के लिए दूध, चावल, खाण्ड आदि दिये, बालक के द्वारा उसी खीर को साधु को