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धन्य-चरित्र/266 अपने हृदय में आप किसी भी प्रकार के अधैर्य को न पालें। हमारे घर में तो आपका आगमन अमर–बेल, सुर-सरिता तथा चिंतामणि रत्न के आगमन के समान मानते हैं। मेरे पिता भी आपसे मिलने को उत्सुक हैं। बादलों के आने पर कदम्ब के पुष्पों की तरह से हर्षित होंगे। अतः मैं इस दल के द्वारा तथा अन्तर्मन में आपकी भक्ति से प्रेरित होकर राजगृह ले जाना चाहता हूँ| आपके आगमन से शक्कर मिश्रित दूध को पीने की तरह परम इष्टसिद्धि का संयोग होगा। अतः आप हृदय से शल्य को निकालकर अपने मन के मनोरथ रूपी वृक्ष को सफल करने के लिए हर्षपूर्वक हमारे साथ वहाँ आइए। अगर इस विषयक मेरे मन में कोई कूटनीति हो, तो मुझे अपने पूज्य–पादों की कसम है। मैं तो मार्ग में आपकी सेवा करते हुए बहुमानपूर्वक राजगृह ले जाकर, आपके व मेरे पिता के बीच निःशल्य प्रीति करवाकर, कुछ दिन आपकी चरण-सेवा के मनोरथ को पूर्ण करके, पुनः अति सम्मानपूर्वक उज्जयिनी पहुँचाकर कृतार्थ होऊँगा। अतः आप मन में कुछ भी विचार न करें। मगध के लोग भी राजराजेश्वर चण्ड प्रद्योत के दर्शन करके पावन हो जायेंगे।'
इत्यादि मिष्ट व इष्ट वचनों के द्वारा प्रद्योत को तृप्त, उल्लसित व स्वस्थ करके आगे मार्ग पर चला। अभय सात दिनों में ही राजगृह के नजदीक के गाँव को प्राप्त हुआ। अभय के मनुष्यों ने आगे जाकर श्रेणिक को बधाई दी। श्रेणिक राजा भी उनको यथोचित दान देकर महा-विभूति और महा-आडम्बर के साथ समस्त राजकीय पुरुषों तथा धन्य को साथ लेकर सामने अगुवानी करने के लिए गये।
इधर अभय प्रद्योत को एक भव्य अश्व-रथ पर चढ़ाकर, दोनों और से चामरों से विंजाते हुए, आगे सहस्रों सुभटों के चलते हुए, सैकड़ों बंदी-जनों द्वारा विरुदावलि पढ़े जाते हुए, सजाये हुए घोड़ों की अनेक श्रेणियों के साथ, अनेक जाति के वादिंत्र को बजवाते हुए, पीछे से आतपत्र को धारण करते हुए, मगध में रहनेवाले राज-सामन्त आदि के द्वारा चारों ओर से परिवेष्टित होते हुए-इस प्रकार महा-महोत्सवपूर्वक राजगृह नगर की ओर चला। तब तक मगधाधिपति भी सम्मुख आ गये। दोनों ही एक-दूसरे के दृष्टि पथ पर आते ही अपने-अपने वाहनों से उतर गये। कुछ कदम पैदल चलकर परस्पर प्रणाम करते हुए गाढ़ आलिंगन, जोत्कार आदि करके बहुमानपूर्वक कुशलक्षेम आदि वार्ता के द्वारा शिष्टाचार करके दोनों एक ही हाथी पर आरूढ़ होकर परस्पर वार्तालाप–संलाप आदि करते हुए नगर के समीप आये।
तब श्रेणिक और अभय ने बहुमान प्रदर्शित करने के लिए प्रद्योत राजा