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धन्य-चरित्र/250 देखने लगा। मन में विचार करने लगा-"स्वरूप से रम्भा की भी तर्जना करनेवाली काम रूपी सेना की सेनापति के समान ये दोनों तरूणियाँ किसकी हैं?" इस प्रकार विचार करते हुए पुनः-पुनः देखते हुए राजा आगे जाने लगा।
तब उन दोनों के द्वारा भी राजा की राग-युक्त दृष्टि को जानकर विशेष रूप से आदर-सहित एकटक होकर देखना, अधखुले नयनों से दृष्टिपात, मुख मटकाना, मुस्कुराते हुए नजर मिलाना, नीची दृष्टि से देखना, परस्पर एक-दूसरे के गले में बाँहे डालकर आदि अनेकों हाव-भाव, विभ्रम, कटाक्ष-विक्षेप आदि के द्वारा स्त्री-चरित्र के संकट में गिराते हुए काम-बाणों के प्रहारों से राजा को जर्जर कर दिया।
राजा सोचने लगा-"क्या ये नाग-वधुएँ है? अथवा ये दोनों किन्नरियाँ हैं? या फिर विद्याधरियाँ हैं? ये दोनों कौन होंगी? यह सफेद उन्नत घर किसका है? यहाँ कौन रहता है? किस उपाय के द्वारा इन दोनों का संयोग होगा? यदि इन दोनों से मिलन होता है, तो ही मेरा जन्म सफल है, अन्यथा नहीं।"
इस प्रकार विचार करते हुए महावत को इशारे से समझाया कि मंद-गति से हाथी को चलायें। उसने भी वैसा ही किया। आगे जाते हुए टेढ़ी की हुई गर्दन के द्वारा उनके संयोग की चिंता में पीड़ित होते हुए अनिमेष दृष्टि से उन दोनों को देखते हुए आगे बढ़ने लगा। उन दोनों के द्वारा भी राजा की वैसी अवस्था को देखकर विशेष रूप से विषलिप्त स्मार के द्वारा घायल करते हुए आलस्य से अंगों को मरोड़ना, जम्हाई आदि लेना, परस्पर आलिंगन आदि अदृष्ट पूर्व स्त्री-चरित्र के विभ्रम से पूर्ण राग-भाव बताकर "यदि ये दोनों मेरे पर पूर्ण रागवाली हैं, तो किस उपाय से ये मिलेंगी?" इस प्रकार आशा के संकट में डाल दिया।
___उसके बाद उस राजा के द्वारा वे दोनों जब तक दृष्टिपथ में आयी, तब तक उन्हें देखता रहा, फिर उसके बाद प्राणों को उन दोनों के पास छोड़कर केवल शरीर के साथ आगे चला। तब उन दोनों ने सम्पूर्ण घटना श्रेष्ठी को बतायी। श्रेष्ठी ने भी प्रसन्न से भी प्रसन्न होकर भविष्य में कार्य करने के लिए शिक्षा देने लगा-"कल पुनः वह पर-स्त्री-लम्पट राजा यहाँ आयेगा। तब फिर
और ज्यादा कटाक्ष-विक्षेप, हस्त आदि के अभिनय के द्वारा उसे मोहित करके विह्वल बना देना, क्योंकि विषयानुरक्त के द्वारा यही जाना जाता है कि ये दोनों मेरा ही ध्यान करती हैं। मेरे ऊपर पूर्ण रागिनी हैं। जिस-जिस दिन मैं कहूँगा, वे स्वीकार कर लेंगी। ऐसी-ऐसी प्रतीति करने योग्य है। इस प्रकार दो-तीन दिनों में ही पूर्ण रूप से विह्वल हो जायेगा, तो कोई बहाना बनाकर दूतिका को