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धन्य-चरित्र/193 बाद आऊँगा। अभी तो मौन करके अमृत पान के समान इस देशना को सुनो।" यह सुनकर सेवक ने सेठानी को निवेदन किया । पुनः सेठानी ने कहा - "वापस जाकर कहो कि कोई महत् कार्य है, अतः घर के अन्दर आइए ।"
तब सेवक ने कहा- "मैं तो नहीं जाऊँगा । मेरे ऊपर स्वामी कुपित होते हैं। अन्य किसी को कहें।"
तब सेठानी ने दूसरे सैनिक को आज्ञा दी । पुनः - पुनः वही उत्तर मिलने से सेठानी ने द्वार उघाड़कर, जन-लज्जा को छोड़कर, मुख बाहर निकालकर सेठ को कहा—“स्वामी! शीघ्रातिशीघ्र द्वार के अन्दर आइए। कोई बड़ा कार्य सिर पर आ गया है।”
तब श्रेष्ठी ने विचार किया कि "निश्चय ही कोई राजकार्य आ पड़ा है, अन्यथा इस प्रकार लज्जा को छोड़कर यह जन-समूह के बीच मुख निकालकर कैसे बोली ? अतः मुझे अवश्य ही जाना चाहिए ।'
इस प्रकार विचार करके मानो महा-कष्ट होता हो, इस प्रकार उठा । शीघ्रता से घर में आकर बोला- "अरे! बोलो - बोलो, क्यों धर्म-श्र - श्रवण में अन्तराय करने के लिए बुलाया है ? "
सेठानी ने कहा- "क्यों आकुल होते हैं? धैर्य रखिए। आपके भाग्य के द्वार खुल गये हैं, जो कि यह वृद्धा माता घर पर आयी हैं।"
सेठ ने कहा - "क्या तुम्हारी वृद्धा माता आयी है ?"
इस प्रकार बातचीत करते हुए सेठानी द्वारा घर के अन्दर जाकर वह पात्र दिखाया गया। उस पात्र के दर्शन - म - मात्र से चमत्कृत होते हुए पाषाण में लोहे की तरह पूर्व में विचारा हुआ सब कुछ भूल गया । इस प्रकार कहने लगा- "यह अदृष्टपूर्व रत्न - पात्र कहाँ से आया?"
तब सेठानी ने कहा—“स्वामी! आज व्याख्यान सुनते समय देशान्तर से एक वृद्धा आयी। घर के आँगन में उसने पानी की याचना की । तब मैंने बड़ी बहू को कहा कि देख-देख, कौन कर्ण - कटु शब्दों द्वारा सुनने में अन्तराय करता है? अतः जो चाहता है, वह उसे देकर उसे भेजकर आ ।" इत्यादि सब कुछ स्वामी को निवेदन किया। “स्वामी! आपके भाग्य - बल से यह वृद्धा जंगम निधान की तरह आयी हैं। कोई भी इसे नहीं जानता है और न ही पहचानता है । सर्वप्रथम आपके ही घर आयी है। उसके पास इस प्रकार के बहुत से पात्र, वस्त्र और आभूषण है । अतः उसको आग्रह करके रोक लें। "
यह बात सुनकर सेठ लोभ - विह्वल होकर अपनी पत्नी के साथ जहाँ वृद्धा थी, वहाँ गया। जाकर प्रणाम - पूर्वक उससे बोलने लगा - "माता! आपका आगमन कहाँ से हुआ है? क्या आपकी देख-भाल करनेवाला कोई नहीं है?"
इस प्रकार सुनकर बुढ़िया ने कहा- "भाई ! पूर्व में तो मेरे भी इस प्रकार का