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देशी शब्दकोश
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अक्ख-उत्कृष्ट उपकरण (बृभा १५४५) । अक्खक-आभूषण-विशेष (अंवि पृ ६०)। अक्खणवेल-१ मैथुन । २ संध्याकाल (दे ११५६) । अक्खणिया-विपरीत मैथुन (पा ४३२) । अक्खपूप-खाद्यपदार्थ-विशेष (अंवि पृ १८२) । अक्खर-आंख का रोग-विशेष (आव २ पृ १०२) । अक्खरा-आंख की पुतली-'आसमक्खिया अक्खिमि अक्खरा उकड्ढिज्जइ
ति' (आवहाटी २ पृ ६०)। अक्खल- १ अखरोट वृक्ष । २ अखरोट वृक्ष का फल (प्रज्ञा १६) । अक्खलिअ- १ प्रतिफलित, प्रतिबिंबित । २ आकुल-व्याकुल (दे ११२७) । अक्खवाया-दिशा (दे श३५) । अक्खिवण-अपहरण (बृभा २०५४) । अक्खु-आम की छाल-'अक्खं—अंबसालमित्यर्थः' (निचू ३ पृ ४८२) । अक्खय-आम की छाल (निभा ४७००)। अक्खेवि-वशीकरण के द्वारा चोरी करने वाला (प्र ३३)। अक्खोड–१ राजकुल में दातव्य द्रव्य, बेगार तथा सैनिक आदि की भोजन
व्यवस्था (व्यभा २ टी प १०) । २ वह भूभाग, जो बिना बोया
हुआ तथा जनता से अनाक्रांत हो (आवटि प६०)। अक्खोडभंग-राजकुल में दातव्य द्रव्य की राजा द्वारा दी जाने वाली छूट
'खोडभंगोत्ति वा उक्कोडभंगोत्ति वा अक्खोडभंगोत्ति वा एगलैं'
(निचू ४ पृ २८०) । देखें-खोडभंग। अक्खोल-फल-विशेष (अंवि पृ ६४) । अक्खोला-ककड़ी (अंवि पृ ७१) । अखरय-भृत्य-विशेष (पिनि ३६७) । अगअदानव (दे ११६) । अगंडिगेह-यौवन से उन्मत्त बना हुआ (दे ११४०) । अगड-१ कूप (स्था २।३६०) । २ कूप के पास पशुओं के जल पीने का
गर्त ।
अगस्थि–गुल्म-विशेष (जीव ३१५८०)। अगय-असुर (प्रा २।१७४) । अगहण—कापालिक, वाममार्गी (दे ११३१) ।
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