Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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देशी शब्दकोश . सन्नुम (छादय). - आच्छादित करना (प्रा ४।२१)। समइच्छ (समति+क्रम)-१ उल्लंघन करना । २ गुजरना। समच्छ (सम्+आस)-१ बैठना । २ अवलम्बन करना।
३ अधीन रखना। समभिड-भिड़ना, लड़ना । समराअ-पीसना। समाढप्प - आरंभ करना (कु पृ १६६) । समाण (भुज)-- भोजन करना (प्रा ४।११०) । समाण (सम्-+ आप्)- समाप्त करना (प्रा ४।१४२) । समार (समा--रचय)-रचना, बनाना (प्रा ४१६५) । समार (समा+रभ)--प्रारंभ करना । समुच्छ (समुत्+छिद्)-१ प्रमार्जन करना (सू १।२।३५) ।
२ उन्मूलन करना (सू २।१।२२)। समुच्छ--१ संतुष्ट करना । २ ठीक करना। समत्तअ--- गर्व करना। समुप्फुद (समा+क्रम)- आक्रमण करना (से ४।४३) । समुस्सिणा (समुत्। श्रु)---निर्माण करना-'आवसहं वा समुस्सिणासि'
(आ ८।२२)। समोलय-उठाकर फेंकना। समोसव-टुकड़े-टुकड़े करना। सर-पर्याप्त होना। सरास-कहना-'कथ् इत्यर्थे देशी।' सलह (श्लाघ)--प्रशंसा करना (प्रा ४।८८)। सलिस (स्वप्)- सोना। सल्ल- प्रिय लगना। सव्वव (दश)-देखना (प्रा ४।१८१)। सह (राज)--शोभना, चमकना (प्रा ४।१००)। सह (आ+ज्ञा)-आदेश देना। साअड (कृष)----१ खेती करना (प्रा ४।१८७) । २ खींचना । साण-शान्त होना। सामग्ग (श्लिष्)---गले लगाना (प्रा ४११६०)।
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