Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 633
________________ ५६४ देशी शब्दकोश वोक्क (उद+नट)-अभिनय करना । वोक्क (वि+ज्ञपय)-विज्ञप्ति करना, प्रार्थना करना ((प्रा ४।३८)। . वोक्ख (उद+नद)-आह्वान करना। वोक्खार-विभूषित करना। वोज्ज (वीजय)-हबा करना (प्रा ४।५) । वोज्ज (त्रस्)-डरना (प्रा ४११६८ टी) । वोज्झ–धारण करना। वोल (गम)-१ अतिक्रमण करना (बृभा १५३६) । २ मिश्रण करना (उसुटीप २५०) । ३ गुजरना । ४ गुजारना, पसार करना । वोल (व्युप+लुट)--छल कना। वोलाव-जाने के लिए प्रेरित करना । वोल्ल (आ+क्रम्)-आक्रमण करना। वोसग्ग (वि+कस्)-विकसित होना । वोसट्ट (वि+कस)-१ विकसित होना (प्रा ४।१६५) । २ बढना । वोसट्ट (वि+कासय)-१ विकास करना । २ बढाना । वोहार-- बुहारना। संकेल्ल-संकुचित करना। संखा (सं+स्त्य)-संहत होना, सघन होना (दे ८।११ वृ)। संखुडु (रम्)-क्रीड़ा करना; खेलना (प्रा ४।१६८) । संगल (सं+घटय)--संघटित करना (प्रा ४।११३) । संघ (कथय)-कहना (प्रा ४।२)। संचाय (सं+शक्)-सकना, समर्थ होना-'एगमवि रोगायक 'नो चेव ____णं संचाएंति उवसामित्तए' (विपा ११११५५)। संचिक्ख (सं+स्था) –१ रहना। २ अनुशीलन करना-'जे अचेले परिवुसिए ____ संचिक्खति ओमोयरियाए' (आ ६।४०)। संछिव-स्पर्श करना । संछुह (सं+क्षिप्)-एकत्रित कर रखना (पिनि ३११) । संजत-तैयार करना । संजम-छिपाना (दे ८।१५ वृ)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgi

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