Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 631
________________ :५६२ देशी शब्दकोश विरल्ल (तन्)-विस्तार करना (प्रा ४।१३७) । विरा (वि+ली)-१ पिघलना, द्रवित होना-'ततो सा उण्हेण नवणीयमिव विराओ' (आवमटी प ३९६) । २ नष्ट होना । ३ निवृत्त होना (प्रा ४१५६) । विराव-१ दावित करना । २ आहत करना, पराजित करना-'पुक्खल संवट्टओ भणति जहा णं एगाए धाराए विरावेमि' (आवचू १ पृ १२१) । ३ भोजन करना-'विरावेमि-भक्षयामि ।' विरिंच (वि+भज)-भाग लेना, बांट लेना। विरिल्ल (वि+स्तृ)-फैलाना। विरीह (प्रति+पालय)--रक्षण करना । विरोल (वि+लग)-१ अवलम्बन करना । २ आरोहण करना । विरोल (मन्थ्)---विलोडन करना (प्रा ४११२१) । विल (बीड)--लज्जित होना। विलभ (खेदय)-खिन्न करना। विलिज्ज-पिघलना-'अग्गिसमीवे व घयं विलिज्ज चित्तं तु अज्जाए' विलुंप-कवलित करना, खाना। विलुप (काङ्क्ष)-- चाहना, अभिलाषा करना (प्रा ४।१६२) । विलोट्ट (विसं+वद्)-१ अप्रमाणित होना (प्रा ४।१२६) । २ विपरीत होना। विवोल---१ कोलाहल करना । २ गुजरना, बीतना । विसट्ट (वि+कस्)---खिलना, विकसित होना (स्था ४।५१४) । विसट्ट (वि+कासय)---विकसित करना। विसट्ट (पत्)-गिरना-'फुटता तडत्ति विसति महीयले' (उसुटी ३६)। विसट्ट (दल)-फटना, टूटना (प्रा ४११७६) । विसुयाव-शोषण करना (बृभा २०७४) । विसुराव-खिन्न करना। विसूर (वि+स्मृ)--भूल जाना। विसूर (खिद्)-खेद करना-'बिले य जाणामि अदुट्ठ दुठे, मा ता विसूराहि अजाणि एवं' (बृभा ३२४८) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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