Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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-आह्वान करना ( ति ७२५) ।
वाहिप्प ( व्या + बाहुड - चलना ।
arra (वि + ईक्ष्) - देखना ( ओभा १८८ ) । विअट्ट (विसं + वद्) - अप्रमाणित करना ( प्रा ४। १२९ ) । विअल ( ओजय् ) -- मजबूत होना ।
विआय (वि + जनय् ) - जन्म देना । (वियावुं - गुज ) । विउड (वि + नाशय्) - विनाश करना ( प्रा ४।३१) । विचिण-विदारित करना ।
विछ (वि + घट् ) – अलग होना ।
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विट ( वेष्टय् ) - वेष्टन करना, लपेटना । (विटवुं - गुज) । विकडू - खींचना |
विक्के (वि + क्री) – बेचना (प्रा ४|५२ ) ।
विक्खर (वि + कृ ) - १ छितरना । २ बिखेरना । ३ इधर उधर फेंकना ।
विक्खिर (वि + कृ ) - बिखेरना, फैलाना (बृचू प १४१ ) ।
विक्खोड - निन्दा करना । ( वखोडवं - गुज ) ।
विखुड्डु - क्रीड़ा करना ( आवहाटी २ पृ १४७) ।
विग्गोव-निंदा करना ।
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विधुम्म (वि + घूर्णय् ) – डोलना । विच्च (वि + अय् )- -व्यय करना ।
विच्च - समीप में आना ।
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देशी शब्दकोश
विच्छ - विदारित करना ।
विच्छिप्प (वि + स्पृश् ) – विशेष रूप से स्पर्श करना ( भ ह २०९ ) । विच्छिव (वि + स्पृश्) - विशेष रूप से स्पर्श करना ।
विच्छुह (वि + क्षिप् ) – फेंकना ( से १०।७३ ) ।
विच्छोल (कम्पय् ) – कंपित करना (प्रा ४/४६) ।
विच्छो- वियुक्त करना, विरहित करना ।
विज्झ (वि + घट्) - अलग होना ।
विट्टाल - अपवित्र करना, भ्रष्ट करना - 'अहो इमे असुइणो सव्वलोगं विट्टालेंति' (निचू २ पृ २२६) ।
विट्ठ -- अर्जित करना ।
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