Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 638
________________ हम्बुव ( उत् + झिप्) -- १ ऊंचा फेंकना - २ ऊंचा उठाना ( प्रा ४|१४४) । हम - शौच करना, विष्ठा करना - 'छगलओ हगति' ( आवचू १ पृ. ४९४) । रहड-हडहर ध्वनि करना । हज (शु) - सुनना (प्रा ४।५८ ) । हम्म ( गम् ) - हम्म - पीटना ( विपा १ । २ । १४) । हर ( ग्रह ) - ग्रहण करना ( प्रा.४।२०६ ) | हर - स्मरण करना । हरयाल - क्रोध उपजाना, कुपित करना ( ज्ञाटी प १५५) । हलबोल - कोलाहल करना - 'हलबोलिज्जइ जणेण सव्वेण' ( कु पृ १८५) । हलहल - १ हलफल करना ( कु पृ ८३ ) । २ कम्पित होना । ३ कोलाहल करना । — गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२ ) । हलहलाय -- उत्सुक होना - ' हलहलायइ कुमार दंसणू सवपसरमाणु क्कंठणिब्भरो णायरलोओत्ति' ( कु पृ १६६) । हल्ल - १ हिलना, चलना । २ नृत्य करना । हल्लपव- त्वरा करना । हल्लप्फल -- १ त्वरा करना । २ आकुल होना । हल्ल फल- - १ शीघ्रता करना । २ व्याकुल होना । हल्लाव -- हिलाना । हल्लुत्ताल – उतावल करना । हव (भू ) - होना ( प्रा ४१६० ) । हव - १ चुपड़ना । २ प्राप्त करना। हस हस - दीप्त होना ( बृभा २०१६ ) | ५६६ हाक—बुलाना । हाव - द्रुतगामी होना । हिच - एक पैर से चलना । हिंड - घूमना । हिंद ( ग्रह ) - ग्रहण करना । हिण्ण (ग्रह) - स्वीकार करना । हिलिहिल- - अश्व का हिनहिनाना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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