Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 607
________________ ५३८ णीसर ( रम्) -- क्रीडा करना, खेलना (प्रा ४।१६८ ) । णीहम्म ( गम् ) - गमन करना, जाना ( प्रा ४। १६२ ) । णीहर (निर् + सृ ) -- बाहर निकलना ( प्रा ४।७६) । णीहर (निर् + सारय् ) णीहर ( आ + ऋन्द्) - चिल्लाना ( प्रा ४। १३१) । गुज्ज–बन्द करना, मुद्रित करना । - णुम (छादय्) - आच्छादित करना ( प्रा ४।२१) । गुम (नि+अस्) - स्थापना करना ( प्रा ४।१६६ ) । णुमज्ज ( नि + सद् ) – बैठना ( प्रा ४। १२३) । णुमज्ज (शी ) - सोना, शयन करना । गुल्ल (क्षिप् ) - फेंकना । वज्ज ( नि + सद्) - बाहर निकालना - तं सल्लं णो सयं णीहरति' ( सू २।२।१३) । -बैठना - ' उवागच्छित्ता सागरस्स पासे णुवज्जइ' ( ज्ञा १।१६।५९ ) । णुव्व ( प्रकाशय् ) - प्रकाशित करना ( प्रा ४१४५) । गूम (छादय् ) - आच्छादित करना - एगट्ठियं णू मेंति, णूमेत्ता कहं वासुदेवं ..... ( ज्ञा १।१६।२८२) । देशी शब्दकोश गोल्ल (क्षिप् ) - फेंकना (प्रा ४।१४३) । गोल्लस (क्षिप् ) -- कंपित करना, प्रेरित करना - ' अंचेति कंपेति णोल्लसति' (सूचू १ पृ २४० ) । ล तक्क ताकना, इच्छा करना - 'परलाभं नो आसाएइ नो तक्केइ' ( उ २६।३३) । तड-चढ़ना - 'आरुह, इत्यर्थे देशी धातु ।' तड (तन् ) - विस्तार करना ( प्रा ४।१३७ ) । तडफड - व्याकुल होना, तड़फडना ( निचू २ पृ २२३) । तडफड - तड़फना । Jain Education International तड्डु – लगाना - तड्डु (तन् ) -- विस्तार करना (प्रा ४।१३७ ) । तडुव (तन् ) – विस्तार करना ( प्रा ४१३७) । 'तड्डेति लाएत्ति (लग्गइ) वृत्तं भवति' (निचू २ पृ ५१) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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