Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
५३९
परिशिष्ट २ समार (भ्रमय्)-घुमाना (प्रा ४।३०) । तर (शक)-समर्थ होना (ओनि ३२४) । तर-कुशल रहना (पिनि ४१७) । तल-बी, तैल आदि में तलना (विपाटी प ५८) । सलमंट (भ्रम्)-घूमना, फिरना (प्रा ४।१६१)। तलप्प (तप्)-तपना, गरम होना। तलहट्ट (सिच्)-सींचना। तालिमंट (भ्रमय)-घुमाना (प्रा ४।३०)। तिउट्ट (त्रुट)--१ टूटना (सू ११११) । २ मुक्त होना (सू १११५५) । तिक्खाल (तीक्ष्णय्)-तीक्ष्ण करना, तीखा करना। तिरितिड-१ बकवास करना, टनटनाहट करना । २ अग्नि जलने का
शब्द, तड तड आवाज-तेंदुरुयदारुयं पिव अग्गिहितं, तिडितिडेति
दिवसं पि' (निभा ६१६६)। तिडव (ताडय)-ताडन करना । तिष्ण (तिम्)-१ आ होना। २ आई करना । तिप्प-~१ देना । २ झरना, चूना । ३ रोना । ४ पीड़ित करना । तिम्म-१ आर्द्र होना । २ आर्द्र करना। तिम्मिर--आर्द्र होना, लथपथ होना। तिय-दूर रखना। तीर (शक)-सकना-'घरे न तीरइ पढिउं' (उसुटी प २३)। तुंग-घूमना। तुट्ट (तुइ) १ टूटना, खंडित होना (प्रा ४३११६) । २ खूटना, घटना। तुटु-सहन करना-'चाएति साहति सक्केइ वासेइ तुहाएति वा धाडेति वा
एगट्ठा' (आचू पृ १०७)। तुप्प-१ स्निग्ध होना। २ स्निग्ध करना । तुवर (त्वर)--शीघ्रता करना (प्रा ४।१७०)। सूमण-स्थगित करना। तेअव (प्र+दीप्)-१ प्रकाशित होना । २ जलाना (प्रा ४११५२) । तेर-बुलाना, न्योता देना (तेड़ना-राज)। तोर (तुड)-तोड़ना (प्रा ४।११६) । तोप्प-चुपड़ना-'ण य तोप्पिज्जइ घयं व तेल्लं वा' (सूचू १ पृ १०६)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640