Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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૪૬
तोड़ना ।
परिअंज ( परि + भञ्ज ) परिअंत ( श्लिष् ) -- १ गले लगाना । २ संसर्ग करना ( प्रा ४। १६० ) । परिअल ( गम् ) -- गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । परिअल्ल ( गम् ) -गमन करना, जाना (प्रा ४। १६२ ) । परिआल (वेष्टय ) - वेष्टित करना ( प्रा ४/५१) । परिघुम (परि + घूर्ण ) - झूलना, घूमना (अंवि पृ ८० ) ।
परिघोल ( परि + घूर्ण ) - परिभ्रमण करना ( अंत ६।४३ ) परिणाव - विवाह करना ।
परिनिय (परि + दृश् ) -- देखना |
परिभुज्ज - १ बांधना । २ मुक्त करना - 'बध्यते छोड्यते च ' ( पिटी प ६७ ) ।
परियद - कंपित करना ।
परियच्छाव- - दलाल होना ( स्थाटी प ३९ ) ।
स् ) - खिसकना ( प्रा ४१ १९७) ।
परिल्हस ( परि + परिवाड (घटय् ) -१ निर्माण करना । २ संगत करना ( प्रा ४।५० ) । परिसाम ( शम् ) शान्त हो जाना (प्रा ४।१६७) । परिहट्ट ( मृद् ) – मर्दन करना ( प्रा ४। १२६) । परिहर - - करना (भटी पृ १२२७ ) ।
परी (भ्रम् ) घूमना फिरना ( प्रा ४१६१) ।
परी (क्षिप् ) - फेंकना (प्रा ४११४३) ।
देशी शब्दकोश
पलोट्ट - परिवर्तित होना, पलटना - ' - अथिरे पलोट्टइ, नो थिरे पलोट्टई' (भ ११४४० ) ।
पलोट्ट (प्रत्या + गम् ) - वापिस आना ( प्रा ४।१६६ ) ।
पलोट्टे ( परि + अस् ) -
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१ फेंकना । २ मार गिराना । ३ प्रवृत्ति करना । ४ गिरना ( प्रा ४।२०० ) ।
-
पलोट्ठ – आगे बढ़ना । पल्लट्ट - पलटना । पल्लट्ट ( परि + अस्) पल्हत्थ ( परि + अस्) -
- फेंकना ( प्रा ४१२००) फेंकना ( प्रा ४१२०० ) ।
पवडू - पोढना, सोना - 'जाव राया पवड्ढइ ताव कहेहि किचि अक्खाणयं'
( उसुटी प १४२ ) ।
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