Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 616
________________ परिशिष्ट २. पविरंज (मङ्ग)-भाबना, तोड़ना (प्रा ४११०६)।- पविरज्ज (भम्ज़)-तोड़मा।. . पदोल्ल-बोलना-'वद् इत्यर्थे देशी धातुः ।' पब्वाय (म्लै)-मुरझाना (प्रा ॥१८) । पव्वाल (छादय ) आच्छावित करना (प्रा ४१२१)। पव्वाल (प्लावय)-खूब भिगोना (प्रा ४।४१)। . पहम्म (गम्)-गमन करना (प्रा ४१६२)। पहल्ल (पूर्ण)-घूमना, कांपना (प्रा ४१११७) । पहाड-इधर-उधर घुमाना-'पहाडेति त्ति स्वेच्छयेतश्चेतश्चानाथं भ्रमयन्ति' (सूटी ११ १२४) । पहिल्ल-पहल करना, आगे करना। पहुच्च (प्र+भू)-पहुंचना, प्राप्त करना-'गामे य कालभाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगट्ठा' (ओनि ५०५) । पहुच्च (पर्याप्त्यर्थे भू)-पर्याप्त होना । पहुप्प (प्रभू)-१ पहुंचना, प्राप्त करना-'काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा' (ओनि ५०५) । २ समर्थ होना (प्रा ४१६३)। पाउण (प्र+आप्)-प्राप्त करना (उ १६१४)। पांगु-धारण करना, ढकना (बंवि पृ.८४) ।। पामिच्च-उधार लेना-दारुयाई भिदेज्ज वा, किणेज्ज वा, पामिच्चेज्ज वा' (आचूला २२९)। पार (शक्)-समर्थ होना (प्रा ४८६)। पाराव-पारणा कराना, भोजन कराना (ओनि १४२) । पासल्ल-वक्र होना-'पासल्लंति महिहरा' (से ६।४५) । पिअरंज (मङ्ग्)-भांगना, तोड़ना । पिच्च-पकना। पिज्ज (पा)-पान करना-'पिज्जतो तरुणियणणयणमालाहिं' (कु पृ१८३)। पिट्ट (भ्रंश्)-नीचे गिरना। पिटव (अर्ज) उपार्जन करना। पिङ (नंश्)-नीचे गिरना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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