Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 618
________________ पेल्ल ( पीडय् ) - पीलना । पेल्ल (पूरय ) - —भरना । पेल्ल ( प्र + ईरय ) - प्रेरित करना (व्यभा ७ टीप ५) । पोअ ( प्र + वे ) – पिरोना । पोर - करना - ' आहेवच्च पोरेबच्चं पोरेति' (आचू पृ ३४६) । पोलंड (प्रोत् + लङ्घ) – उल्लंघन करना ( ज्ञा १ । १ । १५३ ) । फ फंफ ( उद् + गम् ) --उछलना । फंस ( विसम् + वद्) - अप्रमाणित होना ( प्रा ४। १२९) । फंस ( स्पृश्) -स्पर्श करना (प्रा ४।१८२) । फरिस ( स्पृश्) -स्पर्श करना ( प्रा ४। १८२ ) । फणिल्ल ( चोरय ) - चोरी करना । फव्व - प्राप्त करना ( आवहाटी १ पृ २७० ) । फव्वीह ( लभ ) - यथेष्ट लाभ प्राप्त करना - ' फव्वीहामोत्ति देशीपदत्वाद् यदृच्छया भक्तपानं लभामहे' ( बृटी पृ ६३३) । फसफस - फुसफुस करना ( कु पृ २२५)। फसल - विभूषा करना । फसलाण -- विभूषा करना । फास ( स्पृश् ) -१ स्पर्श करना | २ पालन करना ( प्रा ४। १८२) । फिक्कर - पिशाच का चिल्लाना । फिट्ट (भ्रंश् ) - फटना, नष्ट होना ( निचू १ पृ ६) । फिट्ट -- १ दूर जाना ( उसुटी प २६९ ) । २ एकमेक करना ( उसुटी प ७४) । ३ नीचे गिरना । ४ टूटना । ५ भागना । फिड (श्) – फटना, नष्ट होना (प्रा ४।१७७) । फिर (गम) – चलना । फिर - परावर्तन करना - 'परावर्तने देशी ।' फिल्लस - फिसलना ( बूटी पृ ६२६ ) | फिल्लुस - फिसलना । फुंफुल - १ उत्पाटन करना । २ कहना । फुंफुल्ल ( कथय् ) – कहना (प्रा २।१७४) | Jain Education International ५४६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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