Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 621
________________ ५५२ देशी शब्दकोश भर (स्मृ) - स्मरण करना (प्रा ४१७४) । भल (स्मृ)--स्मरण करना (प्रा ४१७४) । भल-स्खलित होना, गिरना। भलीह--मिलना, सम्मिलित होना (कु पृ १२२)। मा (भी)-डरना (प्रा ४।५३) । भासुंड-बाहर निकलना (दे ६।१०३ वृ)। भिज्ज-भीगना (निचू ३ पृ ३७३) । भिट-मेंटना। भिड (आक्रम्)-भिड़ना। भिड--अभिगमन करना-'अभिगमने देशी धातु ।' भिणिभिण-भिनभिनाना-'भिणिभिणेत मच्छियं' (कु पृ २२५) । भिणिहिण-भ्रमर का गुंजारव करना । भिलिंग-मालिश करना । भिस (भास्)-चमकना (प्रा ४।२०३) । भिसण--फेंकना। भीसाव-डराना। भंज (भज)--भोजन करना (प्रा ४।११०)। भुकुंड-लिप्त करना-'दद्दरमलयसुगंधगंधिएहिं गंधेहिं गाताई भुकुंडेति' (जीव ३।४५१) । भुक्क (भष)-भौंकना (प्रा ४।१८६)। भुम (भ्रम्)-घूमना, फिरना (प्रा ४११६१) । भुरुड-उद्धूलित करना, लिप्त करना । भुरुकुंड-लिप्त करना-'चुण्णाणि जेण गायाइं भुरुकंडेत्ता' (सूचू १ पृ ११६)। भुरुहुंड-लिप्त करना। भुल्ल (भ्रंश)-१ भ्रष्ट होना, च्युत होना-'विसएहिं मुल्लउ हियय ! काई परमत्थु मुणंतउ' (उसुटी प ५५) । २ भूलना। भेल-मिश्रित करना (भेलना-राज)। मोल-ठगना। भोलव-ठगना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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