Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 626
________________ लम-पहनना, मंडित करना-'लएज्जत्ति अप्पणो आभरेज्ज' (निचू ४ पृ३)। सह-विकसित होना। लङ (स्मृ)- स्मरण करना (प्रा ४.७४) । लह-भार लादना, बोझ डालना। लय (ला) ग्रहण करना। लल (लड्)---१ विलास करना। २ झूलना। लव (प्र+वर्तय)--प्रवृत्ति कराना-'णो विज्जू लवंति' (सूर्य २०) । लाढ--यापन करना-'लाढयन्ति यापयन्ति' (बृटी पृ ११२६)। लालंप (वि+लप)-विलाप करना । लिप (लिप्)---लीपना (प्रा ४।१४६) । लिक्क (नि+ली)--छिपना (प्रा ४१५५) । लिज्ज-ग्रहण करना। लिस (स्वप्)-शयन करना (प्रा ४।१४६) । लीस-जोड़ना, सांधना-'लीसएज्जा वि वत्थं' (सूचू १ पृ १५६) । लुंचपखंच-पीड़ित करना। लुंछ (मज)-मार्जन करना (प्रा ४।१०५) । लुक्क (तुड्)-टूटना (प्रा४।११६) । लुक्क (नि+ली)--छिपना (प्रा ४१५५) । लुच्छ (मुज)-मांजना। लुढ (स्म)---याद करना। लुभ (मृज)-मार्जन करना । लुह (मृज)-मार्जन करना (प्रा ४।१०५) । लूड (लुण्ठ)--लूटना। लर (छिद)-छेदना, खण्डित करना (प्रा ४।१२४) । लोट्ट (स्वप्)--शयन करना (प्रा ४।१४६) । लोट्ट (लु)-१ प्रवृत्त होना-चक्कं अंतेण लोट्टति' (सू १।१५।१४) । २ लेटना। लोड- घुमाना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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