Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५४
देशी सन्दकोश
पउल (पच्)-पकाना (प्रा ४६०) । पउल्ल (पच्)-पकाना । पंग (ग्रह)-ग्रहण करना (प्रा ४।४०६) । पंगुर (प्रा+व)- ढकना, आच्छादित करना। पंताव-ताड़न करना, मारना (पिनि ३२५) । पक्खर (सं--नाहय )-सन्नद्ध करना। पक्खोड (वि+कोशय )-खोलना (प्रा ४।४२)। पक्खोड (शद्)-झड़ना, टपकना (प्रा ४।१३०)। पक्खोड (प्र-छादय )-ढकना । पगंथ-गाली देना (आ ६।४२)। पग्ग (ग्रह)-ग्रहण करना। पघोल (प्र-घर्णय )---मिलना। पच्चड (क्षर)-गिरना, टपकना (प्रा ४।१७३) । पच्चड्ड (गम् )-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । पच्चार (उपा--लभ)-उलाहना देना (प्रा ४।१५६) । पच्छंद (गम्)-गमन करना , जाना (प्रा ४।१६२) । पज्ज -१ कराना । २ पिलाना-'पज्जेइ त्ति पाययति खादयतीत्यादिलौकिकी
भाषा कारयतीति तु भावार्थः' (विपाटी प ७२)। पज्जर (कथय )-कहना (प्रा ४।२)। पज्झर (क्षर)-गिरना, टपकना (प्रा ४।१७३) । पज्झल (क्षर)-झरना । पझंझ-शब्द करना (जीव ३।२६५) । पट्ट (पा)-पान करना (प्रा ४।१०) । पट्ठव (प्र+स्थापय )--स्थापित करना (प्रा ४।३७) । पड-विघटित होना। पडिअग्ग (अनु+वज्)-अनुसरण करना (प्रा ४।१०७) । पडिउंच-अपकार का बदला लेना। पडियासूर -चिड़ना, गुस्सा होना । पडिसा (शम्)-शान्त हो जाना (प्रा ४।१६७)। पडिसा (नश्)-पलायन करना, भागना (प्रा ४।१७) ।
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