Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्टर.
५४३
धुव (धू)---कम्पित करना (प्रा ४।५६) । धुव--धोना। धुन्ध-धोना। धोत्र (धाव)-धोना, शुद्ध करना ।
निम (दश)-देखना (प्रा ४।१८१)। निअच्छ (दृश)-देखना (प्रा ४।१८१)। निम्मव (निर्+मा)--निर्माण करना (प्रा ४११९)। निम्माण (निर+मा)-निर्माण करना (प्रा ४।१६) । निरंज (भञ्ज)-तोड़ना । निरप्प (स्था)-ठहरना (प्रा ४।१६) । निरवार (ग्रह)-ग्रहण करना (प्रा ४।२०६) । निल (निर+स)-निकलना । निलुक्क (नि+ली)---छिपना-'पडिसुणेत्ता कवाडंतरेसु निलुक्कंति'
(अंत ६।२२)। निव्वल (नि+पद्)-निष्पन्न होना (प्रा ४।१२८) । निब्योल-डुबोना-'अंतो जलंसि निव्वोलेमि' (ज्ञा १६७४) । निव्वोल-क्रोध से होठ मलिन करना। निसुड (भाराकान्तः नम्)--भार से आक्रान्त हो नीचे झुकना । निहर (निर्+स)-बाहर निकलना । नोरंज (भङ्ग्) ---भांजना (प्रा ४।१०६) । नील (निर्+स)-बाहर निकलना (प्रा ४७९) । नुम (छावय) आच्छादित करना ।। नम (छावय)-आच्छादित करना (प्रा ४।२१) ।
प
पअव-पीना (से २।२४)। पहर (वप्)-बोना, वपन करना (आचूला १०।१६ पा) । पइसर-प्रवेश करना। पइसार (प्र+वेशय)-प्रवेश कराना ।
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