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परिशिष्ट २ समार (भ्रमय्)-घुमाना (प्रा ४।३०) । तर (शक)-समर्थ होना (ओनि ३२४) । तर-कुशल रहना (पिनि ४१७) । तल-बी, तैल आदि में तलना (विपाटी प ५८) । सलमंट (भ्रम्)-घूमना, फिरना (प्रा ४।१६१)। तलप्प (तप्)-तपना, गरम होना। तलहट्ट (सिच्)-सींचना। तालिमंट (भ्रमय)-घुमाना (प्रा ४।३०)। तिउट्ट (त्रुट)--१ टूटना (सू ११११) । २ मुक्त होना (सू १११५५) । तिक्खाल (तीक्ष्णय्)-तीक्ष्ण करना, तीखा करना। तिरितिड-१ बकवास करना, टनटनाहट करना । २ अग्नि जलने का
शब्द, तड तड आवाज-तेंदुरुयदारुयं पिव अग्गिहितं, तिडितिडेति
दिवसं पि' (निभा ६१६६)। तिडव (ताडय)-ताडन करना । तिष्ण (तिम्)-१ आ होना। २ आई करना । तिप्प-~१ देना । २ झरना, चूना । ३ रोना । ४ पीड़ित करना । तिम्म-१ आर्द्र होना । २ आर्द्र करना। तिम्मिर--आर्द्र होना, लथपथ होना। तिय-दूर रखना। तीर (शक)-सकना-'घरे न तीरइ पढिउं' (उसुटी प २३)। तुंग-घूमना। तुट्ट (तुइ) १ टूटना, खंडित होना (प्रा ४३११६) । २ खूटना, घटना। तुटु-सहन करना-'चाएति साहति सक्केइ वासेइ तुहाएति वा धाडेति वा
एगट्ठा' (आचू पृ १०७)। तुप्प-१ स्निग्ध होना। २ स्निग्ध करना । तुवर (त्वर)--शीघ्रता करना (प्रा ४।१७०)। सूमण-स्थगित करना। तेअव (प्र+दीप्)-१ प्रकाशित होना । २ जलाना (प्रा ४११५२) । तेर-बुलाना, न्योता देना (तेड़ना-राज)। तोर (तुड)-तोड़ना (प्रा ४।११६) । तोप्प-चुपड़ना-'ण य तोप्पिज्जइ घयं व तेल्लं वा' (सूचू १ पृ १०६)।
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