Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 609
________________ देशी शब्दकोश थंग (उद्+नामय)-ऊंचा करना । थक्क (स्था)-रहना, स्थिर होना-'अणत्थमिए आदिच्चे थक्कति' (निचू ४ पृ ११३)। थक्क (फक्क्) नीचे जाना (प्रा ४।८७)। थक्क (श्रम्)-श्रान्त होना, थकना । थक्कव (स्थापय)-स्थापित करना । थगथग-धड़कना, कांपना । थग्घ–थाह लेना, जल की गहराई को नापना । थणिल्ल (चोरय)-चुराना, चोरी करना । थप्प-थप्पी करना, स्थापित करना । थम-विस्मृत करना । थरत्थर-थरथराना, कांपना । थरथर-थरथराना, कांपना । थरहर-कम्पित होना-'कंपने देशी धातु ।' थाण-रक्षा करना, पहरा देना । थिप (तृप्)-तृप्त होना । थिज्ज-सघन होना (आवहाटी १ पृ २२८) । थिप्प (वि+गल) गल जाना (प्रा ४।१७५) । थिप्प (तृप्)--संतुष्ट होना (प्रा ४।१३८) । थिम्म-१ आर्द्र करना । २ आर्द्र होना । थिविथिव-थिव-थिव आवाज करना। थुक्क-१ थू कना । २ तिरस्कार करना। थुण (स्तु)-स्तुति कर ना (प्रा ४।२४१) । युट्य-१ स्तुति करना (दअचू पृ ४) । २ परिभ्रमण करना (भटी पृ १२३६)। थेणिल्ल-१ छीनना । २ डरना । थेप्प-१ तृप्त होना, संतुष्ट होना । २ विगलित होना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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