Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
जिसब्य-बैठना (स्यमा ८ टी प३)। . णिसिषक (नि+सिद) प्रक्षेप करना । णिसुड (नम्)-झुकना। जिंतुर (मम्)-मुकना (प्रा ४११५८) । णिसुढ (नि+शुम्म)-मारना। णिसुढ-गिरना (निचू ३ पृ १५६) । णिसुम्म-गिराना-'तुंगं तटं णिसुम्मइ ण अ णइवप्पं समथलि व वणगओ'
(से १२५७)। णिसूड (नि+शुम्म) मारना । णिसूट (नि+सह.)—सहन करना। णिस्सम्म (निर्+अम्)-बैठना (से ६।३८) । णिह-छलना करना-'तं आइइत्तु ण णिहे' (आ ४।५) । णिहम्म (गम्)-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । णिहर (आ+ऋन्द)-चिल्लाना, आक्रन्दन करना । णिहर (निर्+स)-बाहर निकलना । णिहव (कामय)-संभोग की इच्छा करना । णिहा (दृश)-देखना। मिहाल-देखना। णिहव (कामय)--संभोग की अभिलाषा करना (प्रा ४।४४) । मिहोड (नि+वारय)-निवारण करना (बृभा ३६०)। णिहोड (पातय्)-१ गिराना । २ नाश करना (प्रा ४।२२) । णी (गम्) अमन करना, जाना (प्रा ४११६२) । णीण (गम्)-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२)। गोरंज (मञ्ज)-तोड़ना (प्रा ४।१०६)। मीरव (आ+क्षिप्)-दोषारोपण करना (प्रा ४।१४५) । जीरव (बुभुक्ष)-खाने की इच्छा करना (प्रा ४।५) । जील (निर+स)--बाहर निकलना (प्रा ४७६)। गीतुंछ (क)-१ गिरना । २. कूदना (प्रा ४.७१) । णीलुक्क (गम्)--गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । जीव---१ शीतल होना । २ बुझाना।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640