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कोंटल - १ शकुन आदि की सूचना ( ओभा २२१) । २ जादू-टोना
(दश्रुचू प ७६ ) ।
कोंटलय - १ ज्योतिष संबंधी सूचना । २ शकुन आदि निमित्त संबंधी सूचना - 'पउंजणे कोंटलयस्स य' (ओभा २२१) ।
कोंटलवेंटल - जादू-टोना - ' कोंटलवेंटलेण कार्मणवशीकरणादिना' ( आवहाटी १ पृ १२६ ) ।
कोंटि — शस्त्र - विशेष - कोंटि आभामिऊणं पहाविओ' ( कु पृ ४७)। कोंड - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १४९ ) ।
कोंडइल - पक्षि-विशेष ( निचू ३ पृ २६०) ।
कोंडलिआ - १ कुत्ते को बींधने वाला जंतु - विशेष, साही (दे २।५० ) । २ कीट (वृ ) ।
कोंडल्लु —— उल्लू (दे २॥४६) ।
कोंडिअ - ग्रामनिवासी लोगों के संगठन को छिन्न-भिन्न कर छल-कपट से गांव की उपज का उपभोग करने वाला ग्राम-भोक्ता ( दे २१४८ ) । कोंढुल्लु — उल्लू (दे २१४९) ।
कोंतिय - १ तृण विशेष ( भ २१।१६ ) । २ शहद का एक प्रकार ( निचू २ पृ २३८ ) ।
कोक वृक विशेष (प्रटी प ९ ) ।
कोकंतिका – लोमड़ी (प्रटी प ९ ) ।
कोकंतिय – लोमड़ी - शृगालाकृति लमटक:' (आटी प ३३८ ) ।
देशी शब्दकोश
कोकंतिया - लोमड़ी (प्रज्ञा १/६६ ) |
कोकासित - विकसित ( जीव ३।५९६ ) । कोकासिय— विकसित ( प्र ४१७ ) ।
कोकि- मादा पक्षि- विशेष (अंवि पृ ६९ ) ।
कोक्कास - इस नाम का एक व्यक्ति जिसने यंत्रमय कापोत बनाकर शालि उत्पन्न की थी ( व्यभा ५ टीप २० ) ।
कोक्कासि - विकसित ( दे २५० ) ।
कोच्चप्प - झूठा हित ( दे २०४६ ) |
कोच्चित- शैक्ष, नया शिष्य- कोच्चितो नाम शैक्षक:' (व्यभा ६ टीप १४ ) । कोच्छ - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १४९ ) ।
कोच्छर - दक्ष (दे २ । १३ पा ) |
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