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देशी शब्दकोश
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पल्लट-१ चलित, पर्यस्त (प्र ६।२) । २ काल-विशेष । पल्लत्थ—पर्यस्त (से २।५) । पल्लत्थिया-पालथी का आसन (उशाटी प ८)। पल्लवग्ग-पर्यव-परिमाण-'पल्लवग्गोत्ति पर्यवपरिमाणं' (समटी प १०५) । पल्लवाय-क्षेत्र, खेत (दे ६।२६)। पल्लविअ-लाख से रंगा हुआ (दे ६।१६)। पल्लालिय-बेसवार का एक घटक (निचू २ पृ ६५)। पल्लालु-फल-विशेष (अंवि पृ २३८) । पल्लालुक-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ७०) । पल्लुल-कठोर शब्द, उत्त्रास पैदा करने वाले शब्द-'पल्लुलं भणंति-हण
छिन्द भिन्दधत्ति मारेत्ति पचे-पचे त्ति' (सूचू १ पृ १३६)। पल्लोट्ट-प्रवृत्त, उत्पन्न-'तुरियपहाविअ-पल्लोट्टफेणाउल-पल्लोट्ट त्ति प्रवृत्तः
उत्पन्न:' (ज्ञा ११११३३ टी प २६)। पल्लोय-द्वीन्द्रिय कीट-विशेष (उ ३६।१२६) । पल्ह—अनार्य देश की एक जाति (भ ३।६५) । पल्हथिअ-विरेचित, रिक्त (पा ५९२) । पल्हत्थी-साधु का एक उपकरण (जीविप पृ ५०) । पल्हवि---एक प्रकार का वस्त्र जो हाथी की पीठ पर बिछाया जाता है
(जीभा १७७०)। पल्हविया-देश-विशेष की दासी (ज्ञा ११११८२)। पवड्डय--पर्दा, चटाई-'कुटिका-पवडकेन कटकेन पश्यति' (ओटी प ५२) । पवद्ध-घन, हथौड़ा, लोहे को कूटने का साधन (दे ६।११)। पवरंग-शिर, मस्तक (दे ६।२८)। पवलाइया-भुजपरिसपिणी (जीव २।६)। पवहाइअ-प्रवृत्त (दे ६।३४) । पविआ-पक्षियों के पानी पीने का भाजन (दे ६।४)। पवित्तय-१ अंगूठी (भ २।३१)। २ तांबे की अंगूठी-'पवित्रकं ताम्रमय
मंगुलीयकम्' (ज्ञाटी प ११७)। पविरइअ-त्वरित, वेगयुक्त (दे ६।२८)। पविरंजिअ–१ स्निग्ध, स्नेहिल । २ कृत-निषेध, निवारित (दे ६।७४) ।
३ भांगा हुआ (वृ)।
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