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देशी शब्दकोश
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वइरोअण-बुद्ध, बुद्धदेव (दे ७५१) । वइरोड-जार, उपपति (दे ७१४२)। वइल्ल-बैल (व्यभा १० टी प ६३) । वइवलय-दुंदुभ सर्प (दे ७५१) । वइवेला--सीमा (दे ७।३१)। वउ-लावण्य, शरीर-कान्ति (दे ७।३०)। वउणी-कपास (दे ३१५७) । वउलिअ-शूला में पिरोया हुआ मांस-खंड (दे ७।४४) । वओवउप्फ-विषुवत्, समान रात और दिन वाला काल (दे ७।५०) । वओवत्थ-विषुवत्, समान रात और दिन वाला काल (दे ७.५०)। वंक-कलंक, दाग (दे ७।३०)। वंग-वृन्ताक, भंटा (दे ७२६) । वंगच्छ-प्रमथ, शिव के अनुचर-विशेष (दे ७।३९) । वंगेवडु-सूअर (दे ७।४२) । वंजण-भोजन (दअचू पृ १६०) । देखें-संदेण । वंजर-नीवी, कटि-वस्त्र (दे ७१४१) । वंटग-विभाग-वडो वंटगो विभागो वा एगट्ठ' (निचू ४ पृ २४४)। वंठ-१ कपट-वेश, ठग (आवचू १ पृ ३१) । २ जो अविवाहित है और
मजदूरी से अपनी आजीविका चलाता है वह-'अकयविवाही भीतिजीविणो य वैठिति' (ओटी पृ १६६) । ३ अविवाहिता (ओनि २१६; दे ७८३)। ४ निःस्लेह, स्नेहहीन । ५ गण्ड, गाल
६ खंड। ७ भृत्य, दास (दे ७८३) । वंड-पीडित (ति ६७४) । वंडुअ-राज्य (दे ७।३६) । वंडुर-घुड़साल, अस्तबल-ततो वासुदेवस्स आसरयणं गहाय पधावितो, सो
_ वंडुरापालएण णाओ' (आवहाटी १ पृ ६५)। . वंढ-बन्ध (दे ७२६)। वंदालग-पूजापात्र (सू १।४।४४)। वंफ-उल्लाप-'वंफेति णाम देसीभासाए उल्लावो वुच्चति' (सूचू १ पृ १८०)। वंफिअ-१ भुक्त, खाया हुआ (दे ७।३५) । २ अभिलषित । वंस–कलंक (दे ७३०)।
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