Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 577
________________ ५०८ देशी शब्दकोश अल्लिय (उप+सप)-समीप में जाना (आवचू १ पृ २१२) । अल्लिय (आ+ली) ---आलिङ्गन करना (प्रा ४।५४) । अल्लिव (अर्पय)-अर्पण करना (प्रा ४।३६) । अव– कहना। अवअच्छ (ह्लाद)-आनन्द पाना, खुश होना (प्रा ४११२२) । अवअच्छ (ह्लादय)-खुश करना (प्रा ४।१२२) । अवआस (दृश्)- देखना (प्रा ४।१८१)। अवंगुण-खोलना-'दुवारवयणाई अवंगुणंति' (भ १५।१४२) । अवक्ख (दृश्)--देखना (प्रा ४।१८१) । अवखेर-खिन्न करना। अवज्जस (गम्)-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । अवज्झ (दश)-देखना । अवडक्क- आत्महत्या करना । अवडाह (उत्--क्रुश)- ऊंचे स्वर से रुदन करना (दे ११४७७)। अवपंगुण-खोलना-‘णो पीहे ण यावपंगुणे' (सू १।२।३५) । अवपंगुर- खोलना (द ५।१।१८) । अवपुस- संयुक्त करना। अवयक्ख (अव+ईक्ष)-१ देखना । २ पीछे मुड़कर देखना (ओभा १८८) । अवयच्छ (दृश्)-- देखना (प्रा ४।१८१) । अवयक्ख (अप+ईक्ष)---अपेक्षा करना । अवयज्झ (दृश्)-देखना (प्रा ४।१८१) । अवयास (श्लिष्)-गले लगाना (प्रा ४।१६०) । अवरुड-आलिंगन करना (दे १।११ वृ)। अववाह (अव-+गाह.)- अवगाहन करना । अवसिज्ज (अव+सद्)-हारना, पराजित होना (विभा २४८४) । अवसेह (गम्)-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । अवसेह (नश)- पलायन करना, भागना (प्रा ४।१७८) । अवह (रच)- निर्माण करना (प्रा ४।६४) । अवहर (नश्)--पलायन करना, भागना (प्रा ४।१७८) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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