Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट २ छोड-१ छीलना-'उच्छुखंडियाओ छोडेतुं चाउज्जातएणं वासेतुं'
(दअचू पृ ५५) । २ आहत करना, विदारित करना ।
(निचू २ पृ २२४)। ३ छोड़ना (उसुटी प ६२) । ४ गांठ खोलना। छोल्ल (तक्ष)-छीलना-'सा. (सालिअक्खए) छोल्लेइ, छोल्लेत्ता अणुगिलइ'
.(जा १७८)।
जअड (त्वर्)-शीघ्रता करना (प्रा ४।१७०) । जंप (कथय)-कथन करना (सू १।१।१०) । जगजग (चकास)–चमकना। जगड-१ उत्तेजित करना। २ कदर्थना करना । ३ झगड़ना (चं १४१)।
४ पीटना । ५ उठाना, जागृत करना । जड–बांधना, संलग्न करना-'भाणं सिक्कएण जडिज्जइ'
(आवहाटी २ पृ८७)। जड (त्वर्)-शीघ्रता करना। जप्प (कथय)-कहना। जम-जमना-'फणिगाए बाला जमिज्जति' (सूचू १ पृ ११७) । जम्म (जन्)-उत्पन्न होना (प्रा ४११३६)। जम्म-खाना, भक्षण करना । जर-छुपाना-'हाउं वा जरेउं वा' (बृभा ४७४८) । जव (यापय)-१ गमन करवाना, भेजना (प्रा ४।४०) । २ काल-यापन
करना (पिनि ६१६) । ३ व्यवस्था करना। जा (जन्)-उत्पन्न होना (प्रा ४।१३६) । जाण (ज्ञा)-जानना (आ ॥३)। जाम (मृज)---मार्जन करना । जिंघ (घ्रा)-सूंघना । जिम (भज)-भोजन करना (प्रा ४।११०) । जिम्म-भोजन करना-'मुज् धात्वर्थे देशी।' जीरव-पचाना। जीह (लस्ज्)-लज्जा करना (प्रा ४।१०३) । जुंज (युज)—जोड़ना (प्रा ४११०६) ।
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