Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 603
________________ देशी शब्दकोशः णिक्कोर-पात्र आदि के मुख का अपनयन करना (निभा ४६७०) । णिक्खुस्स-निकालना-'णिसारेति णिक्खुस्सति विकड्ढति' (अंवि पृ १०८)। णिगुड- मुक्त करना (आवहाटी १ पृ २६०)। णिच्चल (क्षर)-गिरना, टपकना (प्रा ४।१७३) । णिच्चल (मुच)-दुःख को छोड़ना (प्रा ४।६२ टी)। णिच्चोय---निचोड़ना। णिच्छट्ट-स्खलित होना। णिच्छल्ल (छिद)- छेदना, खण्डित करना (प्रा ४।१२४) । णिच्छुभ (नि+-क्षिप्)-रखना (ज्ञा १।४।१३) । णिच्छुह (नि+ क्षिप्)- बाहर निकालना, निस्सारण करना __ (ज्ञा १८।१४६)। णिच्छोड-१ आक्रोश करना (उपा ७।२५) । २ निर्भर्त्सना करना । णिज्झ (स्निह )-स्नेह करना । णिज्झर (क्षि)-नष्ट होना (प्रा ४।२०) । णिज्झोड (छिद्)-छेदना, खण्डित करना (प्रा ४।१२४) । णिटुअ (क्षर)-गिरना, टपकना (प्रा ४।१७३) । णिटुह (वि+गल)-गल जाना (प्रा ४११७५) । णिटुंघ–निकालना (अंवि पृ ८०) । णिठ्ठह (नि+ष्ठीव)-थूकना। णिठ्ठह (नि+स्तम्भ)-निश्चेष्ट करना, स्तब्ध करना (प्रा ४।६७) । णिड्डार-आंखें फाड़ना। णिड्डुह (क्षर)-टपकना । णिण (गम्)-जाना । णिण्णक्खु–निकालता है-'बहिया वा णिण्णक्खु' (आचूला २।१२) । णिण्णा-नीचे की ओर जाना-णिण्णाई ति देशीपदत्वादधोगच्छति' (उशाटी प २६३)। णिद्दुक्ख-उड्डाह करना (निभा ६११५ चू) । णिप्पण-जल से धोना । णिप्पा (वि+-श्रम्)-विश्राम करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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