Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 595
________________ ५२६ देशी शब्दकोश चोप्पड (म्रा)-स्निग्ध करना (प्रा ४।१६१)। छंट (सिच)-पानी के छींटे देना, छिड़काव करना (आवहाटी २ पृ २०७) । छंट-छांटना, छड़ना (प्रसाटी प १५२) । छंटय-छांटना, चावल आदि को छिलके रहित करना (प्रसाटी प १५२) । छंड (मुच्)-छोड़ना। छज्ज (राज)-शोभना, चमकना (प्रा ४।१००) । छज्ज-छप्पर डालना, घर छवाना-'गामेसु घराई छज्जेति' (कु पृ १०१)। छड (आ-+-लह.)--आरूढ होना, चढ़ना । छडु (मच)-१ छोड़ना (प्रा ४६१) । २ गिराना। ३ वमन करना। छमछम-छम-छम की आवाज करना । छिक्क-छींक करना। छिग्ग (छुप)-छूना । छिप्प (स्पृश)-----छूना, स्पर्श करना (प्रा ४।२५६) । छिव (स्पृश्)-स्पर्श करना (प्र ७।५) । छिव-धारण करना (प्रटी प ११५) । छिह (स्पृश)-स्पर्श करना (प्रा ४।१८२) । छंद (आ+क्रम्)-आक्रमण करना (प्रा ४।१६०) । छुक्क (भ्रंश्)-नष्ट होना। छछकार-छु-छु की आवाज करना (आ ६।३।४) । छुट्टछूटना (निचू ३ पृ १४४) । छर-१ ढकना । २ लेप करना । ३ छेदन करना । ४ व्याप्त करना। छुल्ल (भ्रंश्)-नष्ट होना । छल्लुच्छल--छलकना, उछलना-छुल्लुच्छुलेति जं होति ऊणयं रित्तयं कणकणेइ । भरियाई ण खुब्भंती सुपुरिसविण्णाणभंडाइं ॥' (सूचू १ पृ १६४)। छह (क्षिप)-डालना, रखना-'प्रस्तरान शून्यगृहस्यान्तः छुहइत्ति प्रवेशयति' (व्यभा ३ टी प १०२) । छर--१ लीद करना, शौच करना (उशाटी प १६९) । २ चिल्लाना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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