Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट २
उच्छिद -- उधार लेना ।
उच्छुभ ( अप + क्षिप् ) - आक्रोश करना ( प्र १।२७) ।
उच्छोड -- खोलना - 'उवहीए दोरयं उच्छोडेंति' (ओटी प ८३) । उच्छोल ( उत् + क्षालय् ) | — प्रक्षालन करना - 'उच्छोति पधोवेंति सिचंति सणावेंति' (आचूला ७।१६) ।
उच्छोल ( उत् + मूलय् ) – उखाड़ना ।
उज्जीर -- अपमानित करना - 'उज्जीरेइ सहीओ कुसुमसरोक्खंडिआ कए तुज्भ' (दे १।११२ वृ ) ।
उज्जुर - क्षीण करना ।
उज्झ-बुझाना (निचू ४ पृ ३५४) ।
उज्झर - १ टेढ़ी नजर से देखना । २ फेंकना ।
उट्ठ (उत् + स्था ) – उठना (प्रा ४११७) ।
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उड्डु - १ वन्दन करना ( आवनि १९०६ ) । २ उड्डाह करना, उपहास करना
(निचू ३ पृ २९ )
।
उड्डहस्स - प्रद्वेष करना - ' दाउं व उड्डुरुस्से' (बृभा ६२२ ) । उड्डुयाल- - मथना ( दहाटी प ६० ) ।
उष्णाल ( उद् + नमय् ) - ऊंचा करना । उत्तण- गर्व करना (व्यभा ५ टीप १९ ) । उत्थंघ ( उद् + ममय् ) – उठाना ( प्रा ४१३६) । उत्थंघ (रुघ्) - रोकना (प्रा ४।१३३) । उत्थंध ( उत् + क्षिप् ) - ऊंचा फेंकना : ( प्रा ४५१४४०) उत्थग्ध ( उत् + क्षिप् ) - फेंकना ।
उत्थल ( उत् + चल् ) – चलना ।
उत्थल्ल ( उत् + शल् ) – उछलना, कूदना (प्रा ४११७४) । उत्थार ( आ + क्रम्) | आक्रमण करना ( प्रा. ४ । १६० ) । उद्दा- निर्माण करना ।
उद्दाय (शुम् ) - शोभित होना ।
उद्दाल ( आ + छिद् ) - हाथ से छीन लेना ( उशाटी प ३०१ ) ।
उद्धम ( पूरय् ) – पूरा करना ( प्रा ४। १६९ ) ।
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उद्धुमा ( उद् + मा ) - १ प्रदीप्त करना । २ आवाज करना
(प्रा ४१८ ) ।
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