Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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देशी शादकोशः गड्ड-गाडना। गढ (घट्)-१ बनाना (प्रा ४।११२) । २ मिलाना । ३ संचालन करना । गमेस (गवेषय)-खोजना (प्रा ४११८६) । गलत्थ (क्षिप्)-फेंकना (प्रा ४।१४३) । गहगह-हर्ष से भर जाना। गहग्गहाव-आनन्द से भर देना (बृटी पृ ११२३)। गुंज-(हस्) हंसना (प्रा ४।१६६) । गुंजोल्ल (उत्+लस्)-खुश होना (प्रा ४।२०२) । गुंजोल्ल (वि+लुल्)-बिखेरना । गुंठ (उद्+धूलय)-धूसरित करना (प्रा ४ ।२६) । गुप्प-व्याकुल होना (स्था ३।४६५) । गम (भ्रम)-घूमना, फिरना (प्रा ४।१६१) । गुम्म (मुह.)-मुग्ध होना (प्रा ४।२०७) । गुम्मड (मुह.)-मुग्ध होना (प्रा ४।२०७) । गुम्ह (गुम्फ)-गूंथना । गुलगुंछ (उत्+क्षिप्)--ऊंचा फेंकना (प्रा ४।१४४) । गुलगुंछ (उद्+नमय)-उन्नत करना। गुलगुल-हाथी का चिंघाड़ना। गलल (चाटौ क)-खुशामद करना (प्रा ४।७३) । गुलल-स्पर्श करना, सहलाना-'गुललइ हत्थेहि, चुंबइ मुहेण' (कु पृ २२५)। गुलुगुंछ (उद्+नमय)-ऊंचा करना (प्रा ४१३६) । गुलुगुंछ (उत्+क्षिप्)-ऊंचा फेंकना। गुलुगुच्छ (उद्+नमय)-ऊंचा करना । गुव्व-व्याकुल होना (भटी पृ १२३६) । गेण्ह (ग्रह)-ग्रहण करना (प्रा ४।२०६) ।
घंघल-घबराना, व्यग्र होना । घड-मन्त्रणा करना-'अण्णरायाणएहिं समं घडामि' (आवहाटी २ पृ १४१) । यत्त (क्षिप्)-फेंकना (प्रा ४११४३) । घत्त (यत्)-प्रयत्न करना-'घत्तिस्सामि त्ति यतिष्ये' (अंत ३।४७ टी प ८)।
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